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कल्पसूत्रे सशब्दाथें ॥८५३||
प्रभोः
चरित्रम्
दिवसे जम्मकल्लाणगं, कुमारपए इक्कीससहस्सवरिसं, बायालीस सहस्सवरिसं || | अरहनाथ' | रज्जं कणिों, एगसहस्स परिवारेण सद्धिं निव्यित्तिकरा सिवियारूढो मिग्गसिर सुक्कएक्कारस दिवसे दिक्खिओ जाओ। पढमभिक्खादायारो अपराजिओ भिक्खाए खीरं लद्ध, छउमत्थावत्थाकालो नवमासोत्तर तओ वरिसा, अंबनामकचेइयरुक्खतले कत्तिय सुक्कधारसदिणे केवलणाणं, मिग्गसिर सुक्कदसमीए दिणे निव्वाणं, देहप्पमाणं तीसधणूसमाणं; कंचणवण्णो, नंदावत्तलक्खणं, णायग गणहरो कुंभो, अग्गणी साहुणी रक्खिया पव्वज्जाकालो इक्कीस सहस्स वरिसं, गणहराणं संखा तेत्तीसा, साहु संखा पन्नासंसहस्सा, साहुणी संखा सद्रिसहस्सा, सावयाणं संखा एगलक्खचोरासीइसहस्सा, सावियाणं संखा तिलक्खबवित्तरिसहस्सा, साहु केवली अट्ठसयोत्तर दो सहस्सा, साहुणी केवली- |
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