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________________ शान्तिनाथ प्रभोः । चरित्रम् कल्पसूत्रे । हजार, साधु केवली चार हजार पांचसौ, साध्वी केवली ९ नौ हजार, अवधिज्ञानी ३ तीन सशब्दार्थे । हजार ६ सौ। मनःपर्यायी ४ हजार पांचसौ, चतुर्दशपूर्वी ९ नौ सौ, वैकुर्विक सात हजार, ॥८४३॥ वादी संख्या २८०० अठावीस सौ, शासनकाल ३ तीन सागरोपम ०॥ पल कम, कितना पाट मोक्ष में गया, असंख्याता, शासनदेव किन्नर शासन देवी पन्नगा ॥१५॥ १६ सांतिनाहपहुस्स चरित्तंमूलमू-जंबुदीवे भारहे वासे पुंडरिगिणी णयरी होत्था, तत्थ मेहरहो राया। रज्जं करेइ । मेहरहो राया सत्तसया पुत्तै सद्धिं चत्तारिसहस्स रायभि सद्धिं निज लहुभायरो दढरह सद्धिं धनरहतित्थगरसमीवे दिक्खिओ जाओ। एगलक्खपुव्वं विसुज्झ तवसंजमं आराहिऊण तित्थगर नाम गोयं कम्म उवाजियं, अणसणपुव्वगं कालधम्मं किच्चा सव्वत्थसिद्धविमाणे तेत्तीस सागरो ||८४३॥
SR No.009361
Book TitleKalpsutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1973
Total Pages912
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_kalpsutra
File Size49 MB
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