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कल्पसूत्रे शब्दार्थे
॥ ८२८|| |
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वासुपूज्य प्रभोः चरित्रम्
पढमे भिक्खा खीरं लवं । छउमत्थावत्था एगो मासो, पाडल नामग चेइयक्तले मासुक्क वीइयाए केवलणाणं, आसाढ सुक्क चउद्दसी दिवसे निव्वाणं, देहमानं सत्तरिधणुप्पमाणं, रत्तवण्णो, महीखलक्खणो, णायगगणहरो सुहमो (धर्म), अग्गणी साहुणी धारिणी, पव्वज्जाकालो चउव्वन्नलक्खवरिसो, गणहराणं संखा छास, साहुसंखा दुसत्तरिसहस्सा, साहूणी संखा, एगलक्खा सावगाणं संखापण्णरससहस्सोत्तर दो लक्खा, सावियाणं संखा छत्तीससहस्सोतर चत्तारिलक्खा साहू केवली छसहस्सा, साहूणीकेवलीणं संखा, दुवालस सहस्सा, ओहिणाणीणं संखा चत्तारिसयोत्तरपंचसहस्सा, मणपज्जवनाणीणं संखा छसहरसा, चउदसपुव्वी दोसोत्तरं एगसहस्सं वेडव्वियलधिराणं संखा दस सहस्सा, वाईणं संखा सत्तस्योत्तरचत्तारिसहस्सा, सासणकालो ॥८२८॥