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कल्पसूत्रे सशब्दार्थे ॥८१९॥
शीतलनाथ प्रभोः । चरित्रम् .
जाओ । पढमभिक्खादायारो पुणव्वसु नाम, भिक्खायं खीरं लद्धं, छउमत्थावत्था तिमासा, पिलंगु नामा चेइयरुक्खतले पोसकिण्हा चउद्दसीए केवल
णाणं, वेसाहकिण्हबीइयाए निव्वाणं, णउइधणूपमाणं देहमाणं, कंचणवण्णो, - सिरिवच्छलक्खणं, नायक गणहरो आणंदो, अग्गणी साहुणी सुलसा, पव्वजा - कालो पणवीससहस्सो, गणहराणां संखा एगासीइ, साहुसंखा एगलक्खा,
साहुणीणं संखा छसहस्सोत्तर एगलक्खा, सावंगसंखा एगूणणवइसहस्सोत्तर दोलक्खा, सावियाणं संखा अट्ठावण्णसहस्सोत्तर चउलक्खा, केवलिसाहुणं । संखा सत्तसहस्सा, केवलिसाहुणीणं संखा चउदससहस्सा, ओहिनाणीणं संखा दुसयोत्तर सत्तसहस्सा, मणपज्जवनाणीणं संखा पंचसयोत्तर सत्तसहस्सा, चउइसपुव्वाणं संखा चत्तारि सयोत्तर एगसहस्सा, वेउब्बियलद्धिधराणं संखा
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