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सशब्दार्थे ॥८१५||
कल्पसूत्रे सुक्कतइयदिवसे केवलणाणं, भद्दव सुक्कनवमीए निव्वाणं, एगसयधणुपमाणं सुविधिनाथ
के चरित्रम् देहमाणं, गोरवण्णो, मच्छलक्खणं, वराह नाम नायग गणहरो, अग्गणी साहुणी । I वारुणी, पव्वज्जाकालो पन्नास सहस्सपुव्वो, गणहराणं संखा अट्टा
सीइ, साहुणं संखा दोलक्खा, साहुणीणं संखा, तिलक्खबीससहस्सा, सावगाणं दोलक्खएगूणतीससहस्सा, सावियाणं संखा, चत्तारिलक्ख एगसत्ततिसहस्सा, केवलीसाहूणं संखा, पंचसयोत्तर सत्तसहस्सा, केवलिसाहुणीणं संखा, पण्णरससहस्सा, ओहिणाणिणं संखा, चउरासीइसया, मणपज्जवनाणिणं संखा, | पन्नत्तरिसया, चउदसपुव्वी पण्णरससया, वेउव्वियलद्धिधराणं संखा तेरस
सहस्सा, वाईणं संखा छसहस्सा, सासणकालो नवकोडी सागरावमो, असंखेजा ।।। पट्टा मोक्खं गया, सासणदेवो अजियो नामा, सासणदेवी सुयारा ॥
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