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कल्पसूत्रे 'सशब्दार्थे
॥८०४ ॥
अग्रणी साध्वीजी रत्ना, प्रव्रज्या समय एकलाख पूर्व, गणधर संख्या १०७ एकसौ सात साधु संख्या तीनलाख तीस हजार, साध्वी संख्या चार लाख बारह हजार, श्रावक संख्या दो लाख ७६ छिहतर हजार, श्राविका संख्या पांच लाख ५ पांच हजार, साधु केवली बारह हजार साध्वी केवली २४ चौबीस हजार, अवधिज्ञानी १० दस हजार, मनःपर्यायी १० हजार तीनसौ, चतुर्दशपूर्वी दो हजार तीनसौ वैकुर्विक सोलह हजार एकसौ आठ वादी संख्या ९६०० छियानवे सौ । शासन काल नव हजार करोड सागरोपम, कितना पाट मोक्ष में गया असंख्याता, शासनदेव कुसुम, शासन देवी अच्युता ॥ ६ ॥ सत्तमं सुपासनाह चरित्तं
मूलम् - धायइसंडे दीवे पुब्वविदेहम्मि खेमपुरी' णाम रमणिज्ज णयरी होत्था, तत्थ णंदीसेणो नाम पतावी राया होत्था, स धम्मिओ आसी, धम्मेण चेव वित्तिं कप्पेमाणा संसारमसारं जाणिऊण विरत्तिभावो हविअ । सो अरि
पद्मप्रभु तीर्थकर
चरित्रम्
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