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________________ A पद्मप्रभु तीर्थकर चरित्रम "पता ' कल्पसूत्रे पुव्वं रज्जं पालिय, एगसहस्स परिवारेण सद्धिं वेजयंत सिवियंआरोहियसशब्दार्थे | कत्तिय किण्हा तेरसे दीक्खिओ जाओ। पडम भिक्खादायारो सोमदेवो, भिक्खाए ॥८०१॥ खीर लद्धं, छउमत्थावत्था कालो छम्मासा, छत्ताभचेइय रुक्खतले केवलणाणं, चेइय सुक्कयुण्णिमाए निन्नावं, अड्ढाइज्जसंयधणूदेहपमाणं, वण्णो रत्तो, लक्खणं पउमकमलं, गणनायको गणहरो सुव्वयो, अग्गी साहुणी रयणा, पवजाकालो र एकलक्खपुब्वो, सत्त अहियं सया गणहराणं संखा, तीससहस्सोत्तर तिल क्खा साहुसंख, बारससहस्सोत्तर चत्तारि लक्खा साहुणी संखा, छाबत्तरिसहस्सोत्तर दोलक्खा सावगाणं संखा, पंचसहस्सोत्तर पंचलक्खा सावियाणं संखा, केवली साहुसंखा बारस सहस्सा, केवलीसाहूणी संखा चउव्वीससहस्सा, ओहिणाणीणं संखा दससहस्सा, मणपज्जवनाणीणं तिसयोत्तर दससहस्सा, ... ॥८०१॥
SR No.009361
Book TitleKalpsutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1973
Total Pages912
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_kalpsutra
File Size49 MB
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