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कल्पसूत्रे
संभवनाथ प्रभोः चरित्रम ...
सशन्दार्थे । ॥७८९॥
३-संभवनाथ भगवान् के पूर्वभवधातकीखण्ड द्वीप के ऐरवत क्षेत्र में 'क्षेमपुरी' नामकी एक प्रसिद्ध नगरी थी। वहां पर 'विपुलवाहन' नाम का राजा था। उन्होंने अपना राज्य अपने पुत्र 'विमलकीर्ति' को सौंपकर स्वयं 'स्वयंप्रभाचार्य' के समीप दीक्षित हो गया । वहां पर आराधना करने से तीर्थकर नाम कर्म उपार्जन किया। वहां पर अपना आयुष्य पूर्ण करके नौ वें ग्रैवेयक में उत्पन्न हुए।
देवलोक का आयु पूर्ण करके 'श्रावस्ती' नगरी के 'जितारी' नाम के राजा की 'सेनादेवी' रानी की कुक्षि में फाल्गुन शुक्ल अष्टमी के दिन गर्भ में आये। जन्म कल्याणक मार्गशीर्ष शुक्ल चतुर्दशी, कुंवरपद १५ लाख पूर्व, राज्यगादी चौवालीस लाखपूर्व, शिविका सिद्धार्था, दीक्षा कल्याणक एक हजार के साथ मार्गशीर्ष शुक्ल पूर्णिमा, पहेली भिक्षा के देनेवाले का नाम सुरेन्द्रदत्त, पहली भिक्षा में क्या मिला ?
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