SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 8
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५१ अपित आदिकी शंका का निवारण | ५९ मुखपर मुखवत्रिका रखने की एवं उनकी प्रनज्या का वर्णन ५८१-५९१ आवश्यकता का कथन ६४०-६४१ ५२ मेतार्य एवं प्रभास की शंका का निवारण ६० स्वलिंगादि उपधि संपादन विधिका __उनकी प्रनज्या का वर्णन ५९२-६०६ कथन ६४२-६४४ ५३ पापपरिहार पूर्वक धर्मका स्वीकार ६०७-६१६ । ६१ उपधि आदि में ममता त्याग का कथन ६४५-६४६ ५४ प्रनजन आदि की विधिका निरूपण ६१७-६२३ । ६२ भगवान् के शासन की अवधि आदि का ५५ वादरवायुकायों के सूक्ष्मनाम कहने के। कथन ६४६-६६४ कारण का निरूपण ६२३-६३० | ६३ सामाचारीका. वर्णन ६६५-६९० ५६ सामायिक चारित्रधारणादि विधिका ६४ चन्दनवाला आदि राज कन्याओं के .. निरूपण ६३०-६३५ दीक्षा ग्रहण आदि का कथन ६९१-७०५ ५७ अन्यलिंग धारणका निषेध पूर्वक ६५ आयु के अल्पत्व या दीर्घत्व करण में स्वलिंगधारणका कथन ६३६-६३८ ___.. असमर्थपने का कथन ७०५-७१० ५८ स्वलिंगी एवं अन्यलिंगी के साधुवेप ६६ भगवान् के निर्वाण समय के चारित्र का ......धारण प्रकार का कथन ६२८-६४० .. : वर्णन ७१०-७२०
SR No.009361
Book TitleKalpsutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1973
Total Pages912
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_kalpsutra
File Size49 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy