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३६ चौसठ इन्द्रों के प्रादुर्भाव का वर्णन ४४४-४४६ | ४४ भगवान् के द्वारा कही गई धमकथा का ३७ चौसठ इन्द्रों के कार्य का कथन .. ४४७
- कथन ४९८-५०३ ३८ भगवान् को केवलज्ञान प्राप्ति का वर्णन ४४८-४५० | ४५ इन्द्रभूति की शंका का निवारण एवं ३९ भगवान् की धर्मदेशना एवं दश
उनके प्रतिबोध एवं प्रव्रजन का वर्णन ५०४-५२९ . आश्चर्य का कथन ४५१-४५७ ४६ अग्निभूति की शंका का निवारण एवं ४० सिंहसेनराजा का सपरिवार भगवान् के
उनके प्रव्रजन का वर्णन ५३०-५४४ समीप आगमन ४५८-४७० ४७ वायुभूति की शंकाका निवारण एवं ४१ सोमिल ब्राह्मण के यक्षवाटक में आये
उनकी प्रत्नज्याका वर्णन ५४४-५५३ . हुवे अनेक ब्राह्मण के नामादिक ४७०-४७५ ४८ व्यक्तकी शङ्काका निवारण एवं उनकी ४२ सोमिल ब्राह्मण के यक्षवाटक में देवों के
प्रव्रज्या का वर्णन ५५३-५५९ . आगमन का कथन ४७६-४७९ ४९ सुधर्मा नाम के पंडित की शंका का ४३ यज्ञशालाको छोडकर अन्यत्र देवों के
निवारण एवं उनके प्रनज्या का वर्णन ५६०-५६८ गमनको देखकर वहाँके जनोंका आश्चर्यका ५० मंडित एवं मौर्यपुत्रकी शंकाका निवारण वर्णन ४८०-४९७ /
एवं उनकी प्रत्नज्या का वर्णन ५६९-५८०