________________
कल्पसूत्रे
सशब्दार्थे ..||७७९॥
ऋपभदेवप्रभोः चरित्रम्
| हरो, मुखसाहूणी वंभी, एगलक्खपुव्व पव्वज्जाकालो उसभस्स, चउरासीइं.
गणहरा, चउरासीइसहस्सा साहूसंखा, साहुणीसंखा तिण्णिलक्ख पंचसहस्सा,
सावयाणं संखा तिण्णिलक्खो पंचसहस्सा, सावियाणं संखा पंचलक्ख चउव्वन्न| सहस्सा, वाससहस्स केवलिसाहुणो, चत्तालीससहस्सा केवलिसाहुणीणं संखा,
ओहिणाणिणं णवसहस्सा, मणपज्जवनाणिणो दुवालससहस्सा छ सया पन्नासा, चउद्दसपुग्विणं चत्तारिसहस्सा सत्तसया पन्नासा, वीससहस्स छ सया वेउव्वियलद्धिधराण संखा, बारससहस्सा छ सया पन्नासा बाईणं संखा, बावीससहस्सा नव य सया अणुत्तरोववाईयाणं, पन्नासलक्खकोडिसागरोवमं सासणकालो, असंखेज्जा पट्टा मोक्खं गया, सासणदेवो गोमुहो, सासणदेवीओ चक्केसरीअ हवीअ॥
R
MER
+
॥७७९॥
H