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Caleel
कल्पसूत्रे सशब्दार्थे ॥६७॥
शक्रेन्द्रक्रततीर्थकरजन्ममहोत्सवः
भावार्थ-उस काल और उस समय में धरणेन्द्र नामक नागकुमारेन्द्र यावत् मेरु पर्वत पर जाते हैं वहां तक अधिकार पूर्वोक्त जैसे कहना विशेष में छ हजार सामा| निक, अढाइ हजार योजन की उंची महेन्द्र ध्वजा, ऐसे ही असुरेन्द्र सिवाय भवनवासी के सब इन्द्रों का जानना। विशेष से असुरकुमार के ओघस्वरवाली घंटा नागकुमार के मेघस्वरवाली घंटा सुवर्णकुमार के हंसस्वरवाली विद्युत्कुमार के क्रौंचस्वरवाली, अग्निकुमार के मंजूस्वरवाली, दिशाकुमार के मंजुघोषवाली उदधिकुमार के सुस्वर | द्वीपकुमार के मधुरस्वरवाली वायुकुमार के नंदीस्वरवाली और स्तनितकुमार के नंदीघोषवाली घंटा है। चमरेन्द्र के ६४ हजार सामानिकदेव बलेन्द्र के ६० हजार और शेष १८ इन्द्रों के छ २ हजार सामानिक देव कहे हैं। इनसे चौगुणे आत्मरक्षक देव हैं चमरे- 1 न्द्र सिवाय दक्षिण दिशा के नव इन्द्रों का पालक नामक पदातिका स्वामी है उत्तर दिशा के बलेन्द्र का भद्रसेन नामक पदातिका स्वामी है और शेष दक्षिण दिशा के
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