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कल्पसूत्रे
भगवतो
सशब्दार्थे
||७११॥
समय-...
चरित्रम्
बासेहिं अद्धनवमेहि य मासेहि सेसेहि पावाए णयरीए हत्थिवालस्स रण्णो 1 रज्जुगसालाए जुण्णाए तस्स दुचत्तालीस इमस्स वासावासस्स जे से चउत्थे मासे सत्तमे पक्खे कत्तियबहुले, तस्स णं कत्तियबहुलस्स पन्नरसी पक्खेणं जा सा चरमा रयणी, तीए अद्धरत्तीए एगे अबीए छटेणं भत्तेणं अपाणए णं संपलियंकनिसण्णे दस अज्झयणाई पावफलविवागाई, दस अज्झयणाई पुण्णफलविवागाइं कहित्ता, छत्तीसं च अपुट्ठवागरणाइं वागरित्ता एवं छप्पण्णं अज्झयणाई कहित्ता पहाणं नाम मरुदेवज्झयणं विभावेमाणे अंतोमुहुत्तायुसेसे जोगे निरंभमाणे लोउज्जोए सिया पहू सेलेसिं पडिवज्जइ, तया कम्म खवित्ताणं सिद्धिगई गच्छइ नीरओ, सिद्धिं गमित्ता लोगमत्थयत्थो हवइ सासओ। एवं कालगए विइक्वंते समुज्जाए। छिन्नजाइ जरामरणबंधणे सिद्धे
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