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कल्पसूत्रे
सशब्दार्थ
॥७०९॥
मा
- हे भगवन् उपग्रह कितने प्रकार का है ? हे शक! . उपग्रह पांच प्रकार का आयुपः
अल्पत्वदीकहा गया है जैसे देवेन्द्र उपग्रह, राजग्रह गाथापति उपग्रह सागारिक उपग्रह साधर्मिणे उपग्रह ये जो श्रमण निर्ग्रन्थ विचरते हैं उनको हम उपग्रह-आज्ञा, देता हूँ ऐंसा कह असमर्थत्वम् कर श्रमण भगवान् महावीरको वंदना की नमस्कार किया वंदना नमस्कार करके वहीं .. दिव्य यानविमान में बैठकर जिस दिशासे आये थे वहीं पर चले गये तत्पश्चात् हे
भदन्त! इस प्रकार संबोधन करके भगवान् गौतम स्वामीने भगवान्को वंदना नमस्कार । | करके इस प्रकार कहा-हे भगवान् देवेन्द्र देवराज सांवद्य भाषा बोलते हैं अथवा निर- ... वद्य भाषा बोलते हैं ? हे गौतम! सावद्य भाषा भी बोलते हैं निखद्य भाषा भी बोलते हैं हे भगवन् आप ऐसा किस हेतु से कहते है कि, सावद्य और. निरवद्य दोनों प्रकारकी भाषा, देवेन्द्र बोलते हैं? हे गौतम ! जब देवेन्द्र देवराज शक मुहपत्ति न बांधकर सूक्ष्म| काय जीव की हिंसा हो इस प्रकार से बोलते हैं तब शक सायं, भाषा बोलते हैं और ॥७०९॥