________________
reka
सामाचारी वर्णनम्
भावार्थ-प्रतिलेखना में सावधान मुनि पृश्चिकाय, अप्काय, 'पुढवी तेजस्काय वायुकल्पसूत्रे सशब्दार्थे । काय' वनस्पतिकाय एवं त्रसकाय इन छह जीवनिकायोंका आराधक माना जाता है ॥३२॥ --11६८१॥
मूलम्-तइयाए पोरिसीए, भत्तपाणं गवेसए ।
छण्हमन्नयरागम्मि, कारणम्मि समुट्रिए ॥३२॥ भावार्थ--मुनि छह कारणों में से किसी एक कारण के उपस्थित होने पर तृतीय पौरूषी में भक्तपानकी गवेषणा करे ॥३२॥ मूलम् वेयण वेयावच्चे, इरियट्ठाए य संजमट्ठाए ।
तह पाणवत्तियाए, छटुं पुण धम्मचिंताए॥३३॥ ___ भावार्थ--मुनि इन छह कारणों से (१) क्षुधा अथवा पिपासाकी वेदनाकी शान्ति के लिये (२) गुरु आदि मुनिजनों की सेवारूप वैयावृत्ति करने के लिये (३) ईर्यासमिति की आराधना करने के लिये (४) संयम पालन करने के लिये (५) तथा प्राणोंकी
॥६६॥