________________
SEARNAMEERSIC
मुखवस्त्रिकाया: आवश्यकखम्
कल्पसूत्रे माता और गणिका को समान समझने वाले आधाकर्मिक और अभिहडे आहार लेने सशब्दार्थे 8 वाले, कच्चा पानी में राख-नाखा होय ऐसे पानी काम में लेनेवाले ये सव कुलिंगी । ॥६४०॥ l कहे जाते हैं ॥२७॥
मुखवस्त्रिका रखनेकी आवश्यकता - मूलम्-मुखवस्त्रिका विना कथं मुख मशकादि संपातिम जीवोदक बिन्दु प्रवेशरक्षा ? कथं च क्षुत् कासित जृम्भितादिषु देशनादिषु चोष्ण मुख मरुतविराध्यमान बाह्य वायुकायिक रक्षा ? कथं च रजोरेणु प्रवेशरक्षा ? परं प्रति निष्ठयू तलवस्पर्शरक्षा च विधातुं शक्या ? ॥२८॥
भावार्थ--विना मुहपत्ती मुख में प्रवेश करते मच्छर, मक्खी, या अन्य सूक्ष्मजीव | कि जो ऊडते रहते हैं एवं जलबिन्दुओं को कैसे रोक सके ? एवं छींक, खांसी, वगासा
॥६४०॥