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कल्पसूत्रे सशब्दार्थे
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एगारसमाहणा सयसयसिस्सपरिवारेण परिवुडा जन्नकम्मनिउणा तत्थ जणं कुणंति । तहा अण्णे वि तत्थ बहवे उवज्झाया गग्गहारिय कोसियपेल संडिल्ल पारासज्ज भरद्दाजवस्सिय सावण्णिय मेत्तेज्जांगिरस कासव कच्चायण दक्खायण सारख्वयायण सोणगायण नाडायण जातायणास्सायण दब्भायणचारायण कावियबोहियोवमन्नवा तेज्जपभिइओ मिलिया होज्जा ॥ ९ ॥
शब्दार्थ –[तेणं कालेणं तेणं समएणं तीए पावाए पुरीए ] उस काल और उस समय में पावापुरी में [एगस्स सोमिलाभिहस्स वंभणस्स जन्नवाडे जन्नकम्मंमि समागया] एक सोमिल नामक ब्राह्मण के यज्ञ के पाडे - महोल्ले में यज्ञ कर्म में आये हुए [ि जजुसामाथव्वाणं चउण्हं वेयाणं इतिहासपंचमाणं] यज्ञ-कर्म में आये हुए अंगों पांग सहित रहस्य सहित ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद, इन चार वेदों के
सोमिलाभिध
ब्रह्मणस्य यज्ञवाटके समागता
नेक ब्राह्मणनामानि
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