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कल्पसूत्रे • सब्दार्थे
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समान था । उसकी यशकीर्ति सर्वत्र फैली हुई थी, अतः महामलय पर्वत के समान था । प्रतिज्ञ होने तथा कर्तव्यरूपी दिशाओं का दर्शक होने के कारण मेरू और महेन्द्र के समान था । सिंहसेन राजा की शील सेना नामकी रानी थी हस्तिपाल नामक उसका पुत्र युवराज था। उस पात्रापुरी की उत्तरपूर्व दिशाके अन्तराल में, ईशान कोण मे वसन्त आदि छहो ऋतुओं संबंधी फुलो और फलो से सम्पन्न रमणीक एवं नन्दनवन के समान महासेन नामक उद्यान था । उसकाल उसमय मे, अर्थात् सिंहसेन राजाके शासन काल के अवसर पर श्रमण भगवान् महावीर क्रमशः विहार करते हुए महासेन उद्यान में पधारे ॥७॥
मूलम् - अहापडिरूवं ओग्गहं ओगिव्हित्ताणं असोगवरपायवस्स अहे पुढविसिलापट्टगंसि पुरत्थाभिमुहे पलियंकनिसन्ने अरहा जिणे केवली संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ । तए णं वणमाली जेणेव सीहसेणो राया
भगवतो-: धर्म देशना आश्चर्य. प्रकटनं च
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