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ल्पसत्रे
चतुष्पष्ठि
देवेन्द्राणां प्रादुर्भवनम्
महाईसरे२४ सुवन्ने२५ विसाले२६ हासे २७ हासरई२८ सेये२९ महाTAIT सेये३० पयए३१ पयगवई३२ से तं॥४॥
___भावार्थ-वाणव्यन्तर देवों के बत्तीस इन्द्र कहे हैं उनके नाम ये हैं-काल १, महाकाल २, सुरूपेन्द्र ३, प्रतिरूपेन्द्र ४, पूर्णेन्द्र ५, मणिभद्र ६, भीम ७, महाभीम ८, किन्नर ९, किंपुरुष १० सत्पुरुष ११, महापुरुष १२, अतिकाय, १३, महाकाय १४, गीतरति १५, गीतजस १६, संनिहित १७, समान १८, धाई १९, विधाई २०, इसी २१, इसीवाले २२, इश्वर २३, महेश्वर २४, सुवन्न २५, विशाल २६, हास्य २७, हास्यरति २८, श्वेत २९, महाश्वेत ३०, पतंग ३१, पतंगपति ३२, ऐसे ये कुल चौसठ इन्द्र हो जाते हैं ॥४॥
ये चौसठ इन्द्र कैसे होते हैं ? और क्या करते हैं ? इस विचार में कहते हैंमूलम्-तं सव्वे वि इंदा दिव्वेणं तएणं दिव्वाए लेसाए दसदिसाओ
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