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भगवतो३५वचन तिशेपाः
कल्पसूत्रे पधारना होवे तो सब प्रकार की अशान्ति शान्त हो जावे ॥१॥ ... सशब्दार्थे
पणतीस-सच्चवयणाइसेस ॥४३७||
मूलम्-सक्कारत्ता१, उदात्तयार, उवसारोपेयत्त३, गंभीरज्झुणित्त४, अणुणाइया५, दक्खिणत्त६, उवणीयरागत्त७, महत्थत्त८, अव्वाहयपुव्वापज्जत्त९, सिद्वत्त१०, असंदिधत्त११, अवहय अन्नोन्नत्तरत्त१२, हिययगाहित्त१३, देसकालवइयत्त१४, तत्ताणुरूवत्त१५, अवकिन्नप्पसीयत्त १६, अन्नोन्नपगहियत्त१७,
अहिज्जायत्त१८, अइसिनीधमहुरत्त१९, अवरमम्मवेहित्त२०, अत्थधम्मभासा- अनवेयत्त२१, उयारत्त२२, परनिंदासातमोकसिणविप्पजुत्तत्त२३, उवगय| सिलाधत्त२४, अवणीयत्त२५, उप्पाइयाच्छन्नकोउहलत्त२६, अद्दुयत्त२७, अनइविलंवियत्त२८, विब्भमविक्खेवरोसावेसाइ राहिच्च२९, विचित्तत्त३०,