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________________ भगवतः कल्पसूत्र सपदार्थे ॥४२॥ .. समवसरणम् परिणमइ२३, पुव्वबद्धवेरा वि य णं देवासुरनागसुवण्णजक्खरक्खसकिंनर- किंपुरिसगरुलगंधव्वमहोरगा अरहओ पायमूले पसंतचित्तमाणस्सा धम्म निसामंति२४, अण्णउत्थिय पावयणिया वि य णं आगया वंदंति २५, आगया । समाणा अरहओं पायमूले निप्पडिवयणा हवंति२६, जओ जओ वि य णं अरहंतो भगवंतो विहरंति, तओ-तओ वि य णं जोयणं पणवीसाए णं ईती न भवइ२७, मारी न भवइ२८, सचक्कं न भवइ२९, परचक्कं न भवइ३० अइबुट्ठी न भवइ३१, अणावुट्ठी न भवइ३२, दुब्भिक्खं न भवइ३३, पुव्वुप्पण्णा वि यणं उप्पाया बाहि य खिप्पामेव उवसमति ॥१॥ शब्दार्थ-जंसि च णं समयंसि] जिस समय में [समणस्स भगवओ महावीस्स] श्रमण भगवान् महावीर स्वामी को [अणुत्तरे] प्रधान सर्वश्रेष्ठ ऐसा [केवलनाण -
SR No.009361
Book TitleKalpsutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1973
Total Pages912
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_kalpsutra
File Size49 MB
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