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सर्वालङ्कार
सामायिक चारित्र
अपने समय भगवान ने सासाइक, चारित्र अंगीकार किया उसी समय भगवान वर्द्धमानखामी भगवतः मधम्दाथै को चौथा मनःपर्ययज्ञान उत्पन्न हो गया, [तेल्लुक पयासिय] तीनों लोक प्रकाशित हुए। RAME ११७७|| HAL तिएणं सक्कप्पमुहा चउसट्टी वि इंदा सत्वे देवा य देवीओ यः भगवं] तत्पश्चात् सा |शक वगैरह चौसठ इन्द्र सब, देव और देवियां भगवान का अभिनन्दन करते हुए कहने | प्रतिपत्ति लगे [जयउ भयवं ! पालउ समणधम्म] भगवन् ! जयवंता हों, श्रमणधर्म का पालन करें [नासउ सुक्कझाणेग अविह कम्मसत्तू] शुक्लभ्यान से आठ प्रकार के कर्मशत्रुओं का विनाश करें [पराजयड रागहोसमल्लं] रागद्वेषरूपी मुल्लों का परांजय करें औरोहउ मोक्खसोहं] मुक्ति-महल पर आरोहण कीजिए [इच्चाइन्वेण अभिणंदमाणा अभिणंदमाणा अभिथुगुमाणा अभिथुणमाणा आगासे जयझुणि कुणमाणा २ जामेव IN दिसि पाउन्भूया तामेव दिसि पडिगया] इस प्रकार बारबार अभिनन्दन एवं स्तुति करते | हुए और बारबार जयनाद करते हुए जिस दिशा से प्रकट हुए थे उसी दिशा में चले गये।
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