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कल्पसत्र
सभन्दायें ॥१२५॥
भगवतोबाल्यावस्थावर्णनम्
लिया। उसने अपनी वैक्रिय शक्ति से अपने शरीर को सात-आठ ताङ वृक्षों जितना | लम्बा-ऊंचा बनाकर श्री महावीर स्वामी का हनन करने की इच्छा की। उसने प्रभु को उंचे आकाशतल से नीचे गिराना आरंभ किया। ___यह दृश्य देखकर स्वभाव से भीरू बालक उसी समय भागने लगे। अपनी चतुराई से जगत् प्रसिद्ध श्री महावीर स्वामीने, अवधिज्ञान का उपयोग लगाकर जान लिया कि यह उपसर्ग देव का किया हुआ है । तब उन्होंने इस प्रकार सोचा-ये बालक मेरेस्नेहशील माता-पिता से कहेंगे-अर्थात् देवकृत इस संकट की बात उन्हें बतायेंगे। उसे सुनकर माता-पिता मुझे संकट-ग्रस्त जानकर चिन्तायुक्त न बनें' इस प्रकार विचार करके शीघ्र ही उस अभिप्राय वाले देवको नमाने के लिए, देव की पीठ पर चढे-चढे ही अपने शरीर को थोडा-सा भारी करदिया। प्रभु के शरीर का स्वल्प भार पडने पर वह देव उसे भी सहन न कर सका । वह दुरात्मा देव बहुत उच्च-स्वर से
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