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कल्पसूत्रे
मातापितभ्याम् कृत भगवतोनामाभिधानम्
त्रिशला रानी फिर कहती है-इस लोक में चन्दन शीतल है, उसकी अपेक्षा चन्द्रमा सभन्दाथै
- अधिक शीतल है, परन्तु चन्द्र और चन्दन की अपेक्षा पुत्र के अङ्ग का स्पर्श अत्यंत | ॥१०९॥
शीतल होता है ॥२॥ ... मिसरी मीठी होती है और मिसरी से अमृत अधिक मीठा होता है, परन्तु मिसरी
और अमृत इन दोनों से भी बालक का स्पर्श अत्यंत मीठा है ॥३॥ . Mail तथा इस लोक में कनक-सोना सुख देने वाला है, रत्न सोने से भी अधिक
सुखदायी होता है परन्तु पुत्र का स्पर्श तो इन दोनों से भी महान् सुखदायी है ।३१। - मूलम्-तएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स अम्मापियरो, एक्कारसमे दिवसे
विइकते, निव्वत्ते मूयगे, संपत्ते बारसेहिं, विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं | उवक्खडाविति उवक्खडावित्ता मित्तणाइसयणसंबंधिपरियणे उवनिमंति,
॥१.९॥