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________________ कल्पसूत्रे । के समूह को देनेवाले भगवान् के जन्म को सूचित करनेवाले अंतःपुर के दासदासियों सिद्धार्थकृत सशब्दार्थे । को तथा याचकों को दीनता रूपी सेना के पराजय से रहित कर दिया अर्थात् सदा के पुत्रजन्म- ॥८९॥ महोत्सवः लिए उन्हें दरिद्रता के भार से मुक्त कर दिया [नागरियसमायवणमवि रायराय कमलाविलासहासवसुसलिलाआसारेहिं] तथा नगरनिवासी जनसमूहरूपी वन को भी कुबेर की लक्ष्मी के विलास का उपहास करनेवाले अर्थात् अत्यधिक, धनरूपी जलकी विशाल धाराएँ बरसाकर, [फारेहिं दुक्खदावानलसमुज्जलंतकीलकवलपबलभयाओ विमोइऊण उभिदंता अमंदानंदकंदकुरपूरं करीअ] दुक्खरूपी दावानल की जलती हुई ज्वालाओं का ग्रास होने के प्रबल भय से मुक्त करके उत्पन्न होनेवाले अतिशय प्रमोदरूपी अंकुर । समूह से सम्पन्न कर दिया [कारागारनिगडिय-जणवारं च निगडाओ मोइअ] इसके अतिरिक्त सिद्धार्थ राजाने कारागार में कैद किये हुए जो अपराधी जनों के समूह थे, उनको बेडियों से मुक्त करवा दिया [उत्तरोत्तरोल्लसंतप्पवाहेण उस्साहेण तं ॥८९॥
SR No.009361
Book TitleKalpsutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1973
Total Pages912
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_kalpsutra
File Size49 MB
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