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भगवान के उपदेशका वर्णन
३१ (३०) महामोहनीय स्थानोंका वर्णन ३२ मोहनीय स्थानों के त्यागका उपदेश ३३ दशवा अध्ययन प्रारंभ श्रेणिक राजाका वर्णन
३४ राजपुरुषोंके प्रति श्रेणिक राजकी आज्ञा ३५ भगवान् के आगमनका वर्णन
३६ भगवान के आगमनका श्रेणिक राजको निवेदन
३७ श्रेणिक राजाका भगवान्को वन्दन करने के लिये जाना ३८ नगर सम्मार्जन- सिंचन धार्मिकरथ सज्जीकरणादि वर्णन ३९ भगवानको वन्दन करनेके लिये श्रेणिक राजाका गमन ४० भगवान् को वन्दना करनेके लिये सज्जित हुई वेलणका वर्णन
४१ भगवान् का उपदेश
४२ निर्ग्रन्थके मनोभावका वर्णन
४३ निर्ग्रन्थीके मनोभावका वर्णन
४४ निर्ग्रन्थ और निर्ग्रन्थियोके संकल्पके विषयमें भगवान
का पूछना
४५ भगवानका उपदेश और निर्ग्रन्थ निर्ग्रन्थियोंका वर्णन ४६ स्त्रियोंके निदानकर्मका वर्णन
४७ निर्ग्रन्थोके स्त्रीसबन्धी निदानकर्मका वर्णन ४८ निर्ग्रन्थियोंके पुरुषसम्बन्धी निदानका वर्णन
४९ देवभवका निदान और देवी भोगसबन्धी देवी भवनिदान का वर्णन
५० श्रावकभवनिदानका वर्णन
५१ साधुसम्बन्धी निदानका वर्णन
५२ निदानरहितसंयम फलका वर्णन
५३ भगवान के उपदेशकी सफलताका वर्णन और उपसंहार ५४ संक्षेपसे सर्वनिदानका वर्णन और ग्रन्थसमाप्ति ५५ - शास्त्रमशस्ति
३०१
३०२-३२४
३२५-३२९
३३०-३३४
३३६-३४०
३४१
३४२-३४६
३४७-३४८ ३४८-३५२ ३५३-३५८
३५९-३६०
३६१-३६२
३६३-३६४
३६५-३६६
३६७-३६८
३६९-३८५
३८६-३८९
३८९-३९६
३९७-४०५
४०६-४२४
४२५-४३०
४३१-४३६
४३७-४४१
४४२-४४५
४४५-४४८
४४९-४५१