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________________ १५ आयरियउवज्झाए आयरियउवज्झायत्तं णिक्खिवित्ता ओहाएज्जा तिष्णि संवच राणि तस्स तप्पत्तियं नो कप्पइ आयरियत्तं वा जाव गणावच्छेयगत्तं वा उद्दिसित्तए धारित वा, तिर्हि संवच्छरे हि वीइक्कतेहिं चत्थसि संच्छरंसिपट्टियंसि ठिय उवसंतस्स उवरयस्स पडिविरयस्स निव्विगारस्स एवं से कप्पइ आयरियत्तं वा जाव गण वच्छेयगत्तं वा उद्दिसित्तए वा धारितए वा ॥२२॥ भिक्खु य बहुस्सुए बभागमे बहुसो बहुसु आगाढागास कारणे माई मुस वाई असुई पापजीवी, जावज्जीवाए तस्स तप्पत्तियं नो कप्पड़ आयरियत्तं वा जा गणावच्छेयगत्तं वा उद्दिसित्तए वा धारितए वा ||२३|| गणावच्छेयए बहुस्सुए भागमे बहुसो बहुसु आगाढागाढेसु कारणे मा मुसावाई असुई पावजीवी जावज्जीवाए तस्स तष्पत्तियं नो कप्पइ आयरियत्तं वा जा गणावच्छेयगत्तं वा उद्दित्तिए वा धारितए वा ॥ २४ ॥ आयरियउवज्झाए बहुस्सुए बभागमे बहुसो बहुसु आगाढागास कारणेसु मा मुसाबाई असुई पावजीची जावज्जीवाए तस्स तष्पत्तियं नो कप्पइ आयरियत्तं वा जा गणावच्छेयगत्तं वा उद्दिसित्तए वा धारितए वा ॥ २५ ॥ बहवे भिक्खुणो बहुस्सुया वभागमा बहुसो बहुसु आगाढागाढेसु कारणेसु मा मुसाबाई असुई पावजीवी जावज्जीवाए तेसिं तप्पत्तियं नो कप्पड़ आयरियतं वा जा गणावच्छेयगत्तं वा उद्दिसित्तए वा धारितए वा ||२६|| बहवे गणावच्छेयया बहुस्सुया वन्भागमा बहुसो बहुसु आगाढागाडेसु कारणे माई मुसावाई अई पावजीवी जावज्जीवाए तेसिं तप्पत्तियं नो कप्पर आयरियत्तं व जाव गणात्रच्छेयगत्तं वा उदिसित्तए वा धारितए वा ॥२७॥ वहवे आयरियउवज्झाया बहुस्सुया कभागमा बहुसो बहुसु आगाढागाढेसु कार माई मुसावाई असुई पावजीची जावज्जीवाए तेसिं तप्पत्तियं नो कप्पड़ आयरिय वा जाव गणावच्छेयगत्तं वा उद्दित्तिए वा धारितए वा ||२८|| बहवे भिक्खुणो बहवे गणावच्छेयगा वहवे आयरियउवज्झाया वहुस्सुया ववभागमा बहुसो बहुलुं आगाढागाढेसु कारणेसु माई मुसावाई अमुई पावजीवी जावज्जीवाए तेर्सि तप्पत्तियं नो कप्पइ आयरियत्तं वा जाव गणावच्छेयगत्तं वा उद्दित्तिए वा धारितए वा ॥ ॥ ववहारे तइओ उद्देसो समत्तो ||३||
SR No.009358
Book TitleVyavaharasutram evam Bruhatkalpsutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages536
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_bruhatkalpa, & agam_vyavahara
File Size32 MB
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