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________________ ठावइत्ता , करणिज्जं वेयावडियं, ठाविएवि पडिसेवित्ता सेवि कसिणे तत्थेव आरुहियचे सिया, पुव्वं पडिसेवियं पुव्वं आलोइयं १, पुव्वं पडिसेविवं पच्छा आलोइयं २, पच्छा पडिसेवियं पुवं आलोइयं ३, पच्छा पडिसेवियं पच्छा आलोइयं ४ 1 अपलिउंचिए अपल्डिंचियं १, अपलिरंचिए पलिउंचियं २, पलिउंचिए अपलिउंचियं ३, पलिडंचिए पउिंचियं ४ । पलिउंचिए पलिउंचियं आलोएमाणस्स सव्वमेयं सकयं साहणिय जे एयाए पट्टवणाए पट्टबिए निविसमाणे पडिसेवइ सेचि कसिणे तत्थेव आरुहियव्वे सिया ॥२०॥ वहवे परिहारिया वहवे अपरिहारिया इच्छेज्जा एगयओ अभिनिसेज्जं वा अभिनिसीहियं वा चेइत्तए नो ण्हं से कप्पइ थेरे अणापुच्छित्ता एगयी अभिनिसेज्ज वा अभिनिसीहि यं वा चेइत्तए, कप्पइ ण्हं से थेरे आपुच्छित्ता एगयओ अभिनिसेज्जं वा अभिनिसीहियं वा चेइत्तए, थेरा य ण्हं से वियरेज्जा एवं ण्हं कप्पइ एगयो अभिनिसेज्ज वा अभिनिसीहियं वा चेइत्तए, थेरा य ण्हं से नो वियरेज्जा एवं यह नो कप्पइ एगयो अभिनिसेज्ज वा अभिनिसीहियं वा चेइत्तए । जो एहं थेरेहिं अविइण्णे अभिनिसेज्जं वा अभिनिसीहियं वा चेएइ से संतरा छेए वा परिहारे वा ॥२१॥ - परिहारकप्पट्टिए भिक्खू वहिया थेराण वेयावडियाए गच्छेज्जा, थेरा य से सरेज्जा कप्पइ से एगराइयाए पडिमाए ज णं जं णं दिसं अण्णे साहम्मिया विहरंति तणं तं गं दिसं उवलित्तए, नो से कप्पइ तत्थ विहारवत्तियं वत्थए, कप्पइ से तत्य कारणवत्तियं वत्थए, तंसि च ण कारणंसि निहियसि परो वएज्जा वसाहि अज्जो ! एगरायं वा दुरायं वा, एवं से कप्पइ एगरायं वा दुरायं वा वत्थए, नो से कप्पइ परं एगरायाओ घा दुरायाओ वा वत्थए, जे तत्थ परं एगरायाओ वा दुरायाओ वा वसइ से संतरा छेए वा. परिहारे ॥२२॥ - परिहारकप्पठिए भिक्खू बहिया थेराणं वेयावडियाए गच्छेज्जा, थेरा य से नो सरेज्जा कप्पइ से निव्विसमाणस्स एगराइयाए पडिमाए जणं जणं दिसं अन्ने साइम्मिवा विहरंति तं णं तं णं दिसं उचलित्तए, नो से कप्पइ तत्य विहारवत्तियं वत्थए, कप्पइ से तत्थ कारणवत्तियं वत्थए, तसि च णं कारणंसि निहियंसि परो वएज़्जा वसाहि अज्जो ! एगरायं वा दुरायं वा, एवं से कप्पइ एगरायं वा दुरायं चा वत्थए, नो से कप्पइ परं एगरायाओ चा दुरायाओ वत्थए, जं तत्य परं एगरीयाओ वा दुरायाओ वा वसइ से संतरा छेए वा परिहारे वा ॥२३॥
SR No.009358
Book TitleVyavaharasutram evam Bruhatkalpsutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages536
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_bruhatkalpa, & agam_vyavahara
File Size32 MB
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