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वि. टीका, श्रु० १, अ० ३, अभमसेनवर्णनम्
त्रजाः,
प्रसिद्धान, 'सोलसमे' षोडशे 'माउस्सियाओ' मातृष्वस्ः 'मासी' इति प्रसिद्धाः, 'सत्तरसमे' सप्तदशे 'माउला' मातुलान् 'मामा' इतिप्रसिद्धान्, 'अट्ठारसमे ' अष्टादशे 'माउलियाओ' मातुलानीः = 'मामी' इति प्रसिद्धाः, 'एगूणवीस मे' एकोनविंशतितमे 'अवसेस' अवशेषं 'मित्तणाइणिय गरायणसंबंधिपरियणं' मित्रज्ञाति - निजक - स्वजन - सम्बन्धि - परिजनम् - मित्राणि - सुहृदः, ज्ञातयः = समानगोनिजकाः = पितरो मातरश्च, स्वजना: = मातुलपुत्रादयः, सम्बन्धिनः=श्वशुरसमे माउला, अहारसमे माउलियाओ, एगूगवीसइसे असे मित्तणाइणियगसयणसंबंधिपरियणं अग्गओ घाएंति' तृतीय चत्वर - ( अनेक रास्ता जहाँ मिले वहां ) पर ले गये, वहां उन्हों ने उसी के समक्ष उसके आठ पिताके ज्येष्ठ भाईयों को, चौथेचौटे पर लेजाकर उसकी आठ बडी माताओं को, पांचवें चौटे पर लेजाकर उसके आठ पुत्रों को छठवें चोटे पर उसकी आठ पुत्रवधुओं को, सातवें चौटेपर जमाइयों को, आठवें चौटे पर पुत्रियों को, नवमें चौटे पर पौत्रों एवं दौहित्रों को, दशवें चोटे पर पौत्रों और दौहीत्रों की पत्नियों को, ग्यारहवें पर पौत्रियों के एवं दौहित्रयों के पतियोंको, बारहवें पर पौत्री एवं दौहित्रयों को, तेरहवें पर पिता की बहिनों के पतियों (फों) को चौदह पर पिता की बहिनों (फूफियों) को पन्द्रहवें पर मौसियों के पतियों (मासों) को, सोलहवें पर मोलियां को, सत्तरहवें पर मात्राओं को अठारहवें पर सामियों को और उन्नीसवें पर बाकी और भी जो उसके मित्र - सुहृद, ज्ञाति- समानगोत्रज, निजक- मातापिता, स्वजन - मासापुत्र आदि, वई, सोलसमे माउस्सियाओ, सत्तरसमे माउला, अट्ठारसमे माउलियाओ, गुणवीस मे अवसेलं मित्तणाइणियगरायण संबंधिपरियणं अग्गओ वारंति' ત્રીન્હે ચત્વર (અનેક રસ્તા જ્યાં ભેગા થય છે ત્યાં ) પર લઈ ગયા, ત્યાં આગળ તેઓએ તેના સમક્ષ તેના પિતાના આઠ મોટા ભાઇએને, ચેાથા ચત્વરમાં લઈ જદને તેની આઠ મેટી માતાને, પાંચમા ચત્વર પર લઇ જઇને તેના આઠ પુત્રને, છઠા ચત્વર પર તેની આઠ પુત્રવધુઓને, સાતમા ચત્વર પર જમાઇઓને, આઠમાં થવર પર પુત્રીને, નવમાં ચત્તર પર પૌત્રા—–દિકરાના દિકરાઓને, તથા દોહિત્રાને, દયાપર પૌત્રા તથા દોહિત્રાની પત્નીને અગીઆરમાં પર પોત્રિએ તથા દોહિત્રીના પતિઓને ખમા પર પૌત્રિ અને દેહિત્રિએને, तेरा पर पितानी होना (४) ना पतिमने (वामने) श्री मां पर पितानी नाફાદએને, પદરમાં પર ચાસાને, સાલા પર માસીયાને, સત્તરમાં પર બાકી રહેલા खील तेना भित्र-युद्ध, ज्ञाति-सभानगोत्र, निवड - भाता-पिता, स्थन- भाभापुत्र