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...विपाकश्रुते कामध्वजाया गणिकाया 'अंतरं' अन्तरम् गृहे प्रवेष्टुमवसरं 'लभेइ लभते, 'लभित्ता' लव्च्या 'कामझयाए गणियाए गिह कामध्वजाया गणिकाया गृह 'रहस्सियं' राहसिकं-मञ्चन्नम् 'अणुप्पविसई' अनुपविशति, 'अणुप्पविसित्ता कामज्झयाए गणियाए सद्धि उरालाई जाच विहरई अनुमविश्य कामध्यजया गणिकया साधैम् उदारान् यावद विहरति । इह यावत्पदेन-मानुष्यकान् भोगभोगान् सुजाना-इति संग्राह्यम् ।
'इमं च णं' इतश्च खलु-अस्मिन्नवसरे इत्यर्थः, 'मित्ते राया पहाए जाव' मित्रो राजा स्नातो यावत् 'कयवलिकम्से 'कृतवलिकर्मा' कयकोउयमंगलपायच्छित्ते सन्यालंकारविभूसिए' कृतकौतुकमङ्गलप्रायश्चित्तः सर्वालङ्कारविभूषितः 'मणुस्सवागुराए' मनुष्यवागुरया-मनुष्याणां वागुरा-समूहः, तया 'परिक्खित्ते' परिक्षिप्तः= वेष्टितः, 'जेणेव कामज्झयाए नाणियाए गिहं तेणेव उवागच्छइ, दारकने 'अण्णया कया। किसी एक समय कामज्झयाए गणियाए' कामध्वजा गणिका के घर में प्रवेश करने के लिये 'अंतरं लभेइ' अवकाश प्राप्त कर लिया । 'लभित्ता कामज्झयाए गणियाए गिहं रहस्सियं अणुप्पविसइ' अवसर पाते ही वह कामध्वजा वेश्या के घर में प्रच्छन्नरीति से घुस गया, 'अणुप्पविसित्ता कामज्झयाए गणियाए सद्धिं उरालाई जाव विहरइ' और घुसकर उसने कामध्वजा गणिका के साथ उदार मनुष्यसंबंधी कामभोगों को भोगने लगा। 'इमं च णं मित्ते राया पहाए जाव कयवलिकम्मे कयकोउयमंगलपायच्छित्ते सव्यालंकारविभूसिए मणुस्सागुराए परिक्खित्त । इस अवसर में मित्रराजा स्नान करके कोए आदि पक्षियों को अन्नदेनेरूप बलिकर्म से निपट कर कौतुक मंगल एवं प्रायश्चित्तविधि समाप्त कर और वस्त्र-आभूषण आदि पहिन कयाई गे ससय कामज्झयाए गणियाए' मात वेश्याना घरमा प्रवेश ४२वा २५टे 'अंतरं लभेइ' अवश भेगवी बीपी. 'लभित्ता कामज्ज्ञयाए गणियाए गिह रहस्पियं अविसह, अक्स२ मतin ते bat वेश्या घरमा छानी दाते ६सी गयो, 'अणुप्पविसित्ता कामज्झयाए गणियाए सद्धि उरालाई जाय विहाइ' ने पेसान आमत वेश्या साथे २ मनुष्यAधी सममे गाने na! ताय. 'इमं च पं मित्ते राया पहाए जाव कयनिकम्मे कयकोउयमंगलपायच्छित्ते सवालंकारविभूसिए मणुस्सवागुराए परिकियो रेटा मित्र २. नान दाने ५ आदि पक्षीयाने मन्न
પવારૂપ બલિ કથી નિવૃત્ત થઈ, કતુ, મંગલ અને પ્રાયશ્ચિત્તવિધિ પૂરી કરીને अने व-भूपस्ट पापडेशन यारीमाथी व 28 'जेणेव कामज्झयाए