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प्रियदर्शिनी टोको अ. ३६ द्वीन्द्रियजीवनिरूपणे इत्यर्थः । ॥ १२९॥ पल्लुकाः काष्यभक्षकाः जीवविशेषाः, अनुल्लकाः जीवविशेषाः, तथा-वराटका: कपर्दका , जलौकसः= जोक' इति प्रसिद्धाः, जालका:-जीवविशेषाः, तथा-चन्दना अक्षाः, चांदणिया' इति प्रसिद्धाः ॥१३० नकाः) छोटे २ शंख, (पल्लोथ-पल्लुकाः ) जो काष्ठ का भक्षण करते है ऐसे जीव विशेष धुण आदि (अणुल्लया-अनुल्लकाः) अनुल्लक जीव विशेष तथा ( वराडगा-वराटकाः) कौडी (जलूगा-जलौकसाः) जोक (जालगा-जालकाः ) जालक (चंदणा-चन्दनाः) चांदर्णिया। (इइ एवं आयओ-इति एवम् आदयः ) इस प्रकार इनको आदि लेकर (एए बेइंदिया अणेगहा- एते द्वीन्द्रिया अनेकधा ) ये द्वीन्द्रियजीव और भी अनेक प्रकार के होते हैं। (ते सव्वे लोगेण देसे-ते सर्वे लोकैकदेशे) ये सब द्वीन्द्रियजीव लोकके एक भाग में हो रहते हैं (न सव्वस्थ-न सर्वत्र) सब लोक में नहीं (वियाहिया-व्याख्याताः) ऐसा प्रभुने फरमाया है। (सतइं पप्पणाईथा वि य अपज्जवलिया-सतति प्राप्य अनादिकाः अपिच अपर्यवसिताः) ये वीन्द्रिय जीव प्रवाहकी अपेक्षा अनादि एवं अनंत हैं। तथा (ठिइं पडुच्च साईया विय लपज्जवलिया-स्थितिं प्रतीत्य सादिकाः अपिच सपर्थवलिताः) स्थितिकी अपेक्षा सादि और सांत हैं। (बारसा वालाई चेव वेइंदिय आउ ठिई उकासेण नियाहिया-द्वादशवर्षाणि एवं द्वीन्द्रियाणाम् आयुः स्थितिः उत्कर्षेण व्याख्याता) १२ बारह वर्षकी ही पल्लोय-पल्लकाः २ नु सक्षY ४२ छ । १ विशेष धुर माह अणुल्लया-अनुल्लक मनु प विशेष तथा वराडगा-वराटकाः डी जलूगाजलौकसः ।, जालगा-जालकाः Max, चंदणा-चन्दनाः यहाण्या, इइ एवं आयओ-इति एवम् आदयः ॥ प्रमाणे मनाथी अधि: सन एए वेइंदिया अणेगहा-एते द्विन्द्रियाः अनेकधा - मेन्द्रिय ७५ A२४ २ सय छे. ते सव्वे लोगेगदेसे-ते सर्वे लोकैकदेशे २मा सपा में छन्द्रिय all
3 लामा २३ छ. न सव्वत्थ-न सर्वत्र सपा नही'. वियाहियाव्याख्याताः सेतुं प्रभुये ३२मा०युं छे. सतइं पप्पणाईया वि य अपज्जवसियासंततिं प्राप्य अनादिकाः अपि च अपर्यवसिताः । मेन्द्रिय ७१ पानी अपेक्षाथी मनासिने अनंत छ तथा ठिइं पडुच्च साईया वि य सपज्जवसियास्थितिं प्रतीत्य सादिकाः अपि च सपर्यवसिताः स्थितिनी अपेक्षाथी सही अने सांत छ. बोरसा वासाई चेव बेइंदिय आउठिई उक्कोसेण वियाहिया-द्वादशवर्षाणि एवं द्वीन्द्रियाणाम् आयुस्थितिः उत्कण व्याख्याता मा२ वर्षनी Ye स्थिति मा मे