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प्रियदर्शिनी टीका अ० ३६ अप्कायजीवनिरूपणम्
८४१ ___ अपाम्-अब्जीवानाम् उत्कृष्टिका-उत्कृष्टा आयुः स्थितिः वर्षाणां सप्तसहस्राण्येव भवति । जघन्यिका जघन्या तु अन्तर्मुहूर्तम् ।।८९॥९०॥९१॥९२॥ अनादि और अनंत है। (ठिई-स्थितिं प्राप्य) अवस्थिति एवं कायस्थिति की अपेक्षासे (साईया बिय सपज्जवसिया-सादिकाः अपि च सपर्यवसिताः) सादि और सात है। इन (अपाम् ) जलजीवोंकी (आउठिईआयुः स्थिति) आयुः स्थिति ( उक्कोला-उत्कृष्टिका) उत्कृष्ट (वासाणं सत्तेव सहस्साइं-वर्षाणां सप्तैव सहस्राणि) सातहजार वर्षकी होती है। तथा (जहन्निया-जयन्यिका) जघन्य (अंतोनुहुत्त-अन्तर्मुहूर्तम् ) अन्तर्मुहर्तकी होती है। तथा (तं कायं अमुंचओ आऊणं-तं कायं अमुञ्चताम अपाम् ) उस जलकायरूप शरीरको नहीं छोड़ते हुए अर्थात् मर२ कर बार२ वहीं पर जन्म धारण करते हुए इन अकाय जीवोंकी ( कायठिईकायस्थितिः) कायस्थिति ( उक्कोसं अणंतकालं-उत्कृष्टा असंख्यकालम् ) उत्कृष्ट असंख्यातकाल प्रमाण है अर्थात्-असंख्यात लोकाकाश प्रदेश प्रमाण उत्सर्पिणी और अवसर्पिणी कालरूप है। तथा-(जहनिया-जघन्यिका) जघन्य कायस्थिति (अंतोमुहुत्तं-अन्तर्मुहूर्तम् ) अन्तर्मुहूर्त प्रमाण है। (सए काए विजम्मि -स्वके काये त्यक्ते) अपने शरीरके छोड़ने पर पुनः उसी शरीरको ग्रहण करनेका (अंतरं-अन्तरम् ) अन्तर (आऊ जीवाण-अब जीवानाम् ) अप्काय जीवोंका (उक्कोसं-उत्कृष्टम् ) उत्कृअपि च अपर्यवसिता! मनात अने मन छे ठिई एप्प-स्थितिं प्राप्य मपस्थिति भने यस्थितिनी अपेक्षाथी साईया सपज्जवसिया-सादिकाः सपर्यवसिताः साह म सात छ. २00४ वानी आउठिई-आयुः स्थितिः सायु स्थिति उक्कोसाउत्कृष्टिका कृष्ट वासाणं सत्तेवसहस्साई-वर्षाणां सप्तैव सहस्राणि सात १२ qषनी होय छे तथा जहनिया-जघन्यका धन्य अंतोमुहुतं-अन्तर्मुर्त्तम् मतभुइतनी राय छ तथा तं काय अमुंचओ आऊणं-तं कार्य अमुञ्च ताम् अपामू તે જળકાયરૂપ શરીરને ન છોડતાં અર્થાત્ મરી મરીને વાર વાર ત્યાં જ જન્મ धारण ४शन मे २०५४ाय वानी कायठिई-कायस्थितिः यिस्थिति उक्कोसं अणंतकाल-उत्कृष्टा असंख्यकालम् ट मसण्यात stom छ अर्थात અસંખ્યાત લોકાકાશ પ્રદેશ પ્રસારુ ઉત્સર્પિણી અને અવસર્પિણ કાળરૂપ છે. तथा जहन्निया-जघन्यिका ४धन्य आयस्थिति अंतोमुहुत्तं-अन्तर्मुहूर्त मतभुत प्रमाण छे. सए काए विजढम्मि-स्वके काये त्यक्ते पाताना शरीरने छ।ज्या पछी थी ये शरीरने अड) ४२वाना अंतरं-अन्तरम् तर आऊ जीवाणअबू जीवानाम् ५५४ाय याना उक्कोसं-उत्कृष्टम् कृष्ट ३५ अणंतकालंउ० १०६