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मूलम्-केसि कुमारसमणे, गोयम दिसमागय ।
पडिरूव पडिति, सम्म संपडिवनड ॥१६॥ छाया--केशिकमार अमणो, गौतम लागतम् ।
प्रतिस्पा मनिपत्ति, मम्गक सम्प्रतिपद्यते ॥१६॥ टीका--'केमिकमारममणे' इत्यादि ।
केशिकुमारश्रमणो गातमम् समागत टना प्रतिस्पाम चिता मतिपत्तिम् = आगन्तुक प्रतिकर्तव्यरूपा सम्यर मम्मतिपद्यने सम्यकप्रसारण रोति ।।१६।।
प्रतिपत्तिमेवाह-- मलम्-पलाल फीसुय तत्थ, पर्चम कुसतणाणि य ।
गोयमस्स निसज्जाए, खिंप्प सपणामए ॥१७॥ छाया--पलाल पानक तर, पश्चमानि कुगवणानि च ।
गौतमम्य निपद्यायै, लिम समर्पयति ॥१७॥ टीमा-'पलाल' इत्यादि ।
तर-तिन्दुकोद्याने केशिकुमारश्रमणो गोतमम्य निपधायै-उपवेशनार्थ 'केसिकुमारसमणे' इत्यादि ।
अन्वयार्थ - (केसिकुमारसमणे केशिकुमारश्रमण) केशिकुमार श्रमणने (गोयम आगय दिस्स-गौतम आगत दृष्ट्वा) गौतम स्वामी को आये हुए देखकर (पडिरूव पडिवीति-प्रतिरूपा मतिपत्तिम् ) उनके योग्य सत्कार सम्मानरूप प्रतिपत्ति (सम्मसपडिवजह-सम्यकूसम्प्रतिपद्यते) अच्छी तरह से की ॥१६॥
अब उसी प्रतिपत्तिको कहते हैं-'पलाल' इत्यादि । अन्वयार्थ- (तत्य-तत्र) उस तिन्दुक नामके उद्यान में श्री केशिकुमार "केसिकुमारसमणे" त्याही
मन्क्याथ-केसिकुमारसमणे-के शिकुमारश्रमण विभा२श्रमधे गोयम आगय दिस्स-गौतम आगत दृष्ट्वा भीतम सामान मावेला ने पडिरूप पडिवर्ति -मतिरूपा पतिपत्निम् तभने योग्य सा२ सन्मान३५ प्रतिपत्ति सम्म सपडिवज्जइसम्यक सम्मतिपद्यते सारी शत परी ॥१६॥
वे थे प्रतिपत्तिन ४ छ "पलाल" त्यादि। अयाय-तत्थ-तत्र थे विनाभना धानमा शिशुभार अभार गोयमस्स