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________________ भोपपातिकas मूलम् - अम्मडस्स णं परिव्वायगस्स चउच्चिहे अणहादडे पच्चखाए जावज्जीवाए, त जहा -अवज्झाणायरिए पमायाfor हिंसा पावकम्मोवएसे || सू० ३६ ॥ ५८८ टीका--' अम्मडस्स ण ' इत्यादि । ' 'अम्मडस्स ण परिव्वायगस्स ' अम्बस्य ग्वल परित्राजकस्य 'चउ विहे अणद्वादडे पञ्चखाए जारजीवाए ' चतुर्निध अनर्थदण्ड –अर्थ = प्रयोजन गृह स्थस्य क्षेत्रवास्तुधनधान्य गरीरपरिपालनादिविषय-तदर्थ आरम्भो भूतोपमर्दोऽर्थदण्ड । aust निग्रो यातना विनाश इति पर्याया । अर्थेन प्रयोजनेन दण्डोऽर्थदण्ड, स चैवभूत उपमर्दनलक्षणो दण्ड क्षेत्रादिप्रयोजनमपेक्षमाणोऽर्थदण्ड उच्यते, तद्विपरीतोऽनर्थदण्ड प्रत्या ख्यातो यावजीनम् । अयमनर्थदण्ड किस्वरूप 2 इति यो पयितुमाह-' त जहा तद्यथा - ' अवज्झाणायरिए ' अपध्यानाssचरित -अपध्यानम् = आर्तरौद्ररूप, तेनाचरित आसेवितो योऽनर्थदण्ड स तथा । ' पमायायरिए' प्रमादाऽऽचरित -प्रमादेन मद्यविषय 'अम्मडस्स ण परिव्वायगस्स ' इत्यादि । ( अम्मडम्स ण परिव्वायगस्स ) इस अम्बड परिव्राजक के ( चउबिहे) चारों प्रकार के ( अट्ठादडे) अनर्थ दडा को ( जावज्जीवाए पञ्चखाए ) जाननपर्यत परि त्याग है । वे चार अनर्थद इस प्रकार है - ( अवज्झाणायरिए पमायायरिए हिंसप्प याणे पावकम्मो मे ) अप यानाचरित, प्रमादाचरित, हिंसाप्रदान, एव पापकर्मोपदेश ! विना प्रयोजन जीवों का उपमर्दन जिन कार्यों के करने से होता है उसका नाम अनर्थदंड है | आर्त्तरौद्ररूप ध्यान का नाम अपयान है । इस यानसे उद्भूत अथवा क्रियमाण दड का नाम अप यानाचरित अनर्थ दड हे । मद्य, विषय, कषाय, निद्रा एव विकथारूप प्रमाद से ८८ अम्मडरस ण परिव्वायगस्स " त्याहि ( अम्मररस ण परिव्वायगरस ) या व्यभ्यः परित्राउने (चडव्विहे ) थारैय प्रारना ( अट्ठादडे ) अनर्थ : डोना (जानजीवाए पच्चक्साए ) वन ययन्त परित्याग हे से यार अनथ सा अारना छे ( अवज्झाणायरिए मारिए हिंसयाणे पानकम्मो से ) अध्यानाथरित, प्रभाहायरित, हिसा પ્રદ્યાન—હિંસાહારક શસ્ર કાઈને દેવુ, તેમજ પાપમના ઉપદેશ વિના પ્રયોજન જીવાનુ ઉપમન જે કાર્યો કરવાથી થાય તેનુ નામ અનદ છે તને રૌદ્રરૂપ ધ્યાનનુ નામ અપધ્યાન છે આ ધ્યાનથી ઉદ્ભવેલા અથવા હહનું નામ અપધ્યાનાચરિત-અનંદડ છે મઘ, વિષય, કષાય, નિદ્રા તેમજ નારા
SR No.009353
Book TitleUttaradhyayan Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1960
Total Pages1106
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size33 MB
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