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________________ पीयूषषषिणी-टीका स ४२ दस्त्यादिसजनम हव्व-परिवत्थिय मुसज्ज धम्मिय-सपणह-बह-कवडय-उत्पीलिय-कच्छ-चच्छ-वेय-बड-गलवर-भूपण-विरायत अहियतेय-जुत्त सललिय-वर-कण्णपूर-विराइय पलंब-ओचूल-महुयरणेवत्य-दब-परिवस्थिय ' उप-नेप य-शीत्र-पग्पित्रितम-उज्वलनप येन-निर्मलवेपरचनया शात्र, पग्वित्रित-आच्छादिनम्, अलतमियर्थ जतण्व 'मुसन' कृतसन्नाहम्, 'पम्मिय-सण्णद्ध-बद्ध-कवडय-उप्पीलिय-या-वच्छ-गेवेयपद्ध-गलवर-भूमण-विरायत' धार्मिक मनद्ध-पद्ध-वचिको-पाटित-कल-वतो वेय-बद्-गल्वर-भूपण-मिगजमानम् , धार्मिक सन्नद-सनाकृत बद्ध यत् क्वच सन्नाहविशेष , तदस्यास्तीति-धार्मिकसनद्रबद्धकाचिकम् , उपीडिता आकृप्य बद्धा, कक्षाबन्धन रजु , वक्षमियम स्थले यम्य तत् तथा, अवेयक प्रोवाभूषण वद्ध गले कण्ठे यस्य तत् तथा, बरभूषणै = अन्यैर्गजस्य श्रेष्ठाभरणविराजमानम् 'अहियतेयजुत्त' अधिकतेजोयुक्तम्=परमतेजस्वि, 'सललिय-वरकण्णपूर-विराइय' सललित-वरकर्णपूरयों के शृगार करने पाले (सुणिउणेहिं) निपुण व्यक्तिया से (उज्जल णेवस्थ-हव्व-परिवत्थिय) हाथीका शृगार करवाया, इसमें सर्वप्रथम उन कुशल पुरुपा ने उसे निर्मल भूषणों की रचना से अलकृत किया । (ससज) उस पर अच्छी तरह से झूलें वगैरह सजायीं। (धम्मिय सण्णद्ध-बद्ध-कवइय-उप्पीलिय कच्छ वच्छ गेवेय-वद्ध-गलवर-भूपणविरायत) धार्मिक उसर के समय जैसा हाथी का गगार होता है ठीक वैमा ही गगार इसका किया गया । पेट या आती पर इसके मजबूत करच क्सकर नाधा गया । गले मे इसके आभूषण पहिनाए गये । और इसके अग-उपागों मे सुटर २ उसके योग्य आभूग द्वारा विविध प्रशथी हाथीमाना मा२ पापा (सुणिउणेहिं ) निपुण व्यरिता द्वारा ( उज्नल णेवत्थ हव्य परिवत्यिय ) हाथीना २२ शव्या, તેમાં સવથી પ્રથમ તે કુશળ પુરૂએ તેને સુન્દર અલ કાગની રચનાથી मस 1 र्या, (सुसज्ज) तेना GP भारी ते पगेरे सन्तपी (धम्मिय सण्णद्ध-न-कवइय-उपपीलिय-क्छ-बन्छ-गेवेय-बद्ध-गल्वर - भूपण - चिरायत) ધાર્મિક ઉત્સવના ખમયે જે હાથીને શણગાર હોય છે તે જ બરાબર શણગાર તેને કર્યો પેટ અથવા છાતી ઉપર મજબૂત કવચ કમીને તેને બામ્બુ ગળામાં તેને આભૂષણે પહેરાવવામાં આવ્યા તેના બીજા અગો तथा पागाभा सु२ सु४२ ते२ योज्य आभूषागे पडेराव्या (अहिय
SR No.009353
Book TitleUttaradhyayan Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1960
Total Pages1106
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size33 MB
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