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पोपवर्षिणी-टीका मृ ३३ असुररामारदेययर्णनम सिय-सयवत्तमिव पत्तलनिम्मला-ईसी-सिय-रत-तवणयणागरुलायय-उज्जु-तुंग-णासा ओयविय-सिलप्पवाल-विवफल-मण्णिभाहरोट्टा पडुर-ससिसयल-विमल-णिम्मल-सख-गोखीर-फेण-दगरयसिय-रत्त-तर-णयणा' परल निर्मलपसित-रक्त-ताम्र नयना -पागनि-प-मपन्ति-सूक्ष्मरोममुक्तानि, तथा निर्मगनि तथा इपत् मितानि-बेतानि तथा ईपद्रक्तानि तथा ईपत्ताम्रागिअरणानि नयनानि येपा ने तया-विकसितशतपरतुन्यफिश्चिन्नुभ्ररक्तनेना इयर्थ । 'गरुना-यय-उज्जु-तुग-णासा' गरुटाऽऽयतर्जुतुद्गनामिका -गरुटम्येच आयता-ढापा, कनी-सरला तुहा उच्चा नासिका येपाते तथा सरलढाईमुन्दरनामिकावत । 'ओयरियसिलप्पवाल-फिर-सण्णिभा-हरोद्वा' उपचित-गिलाप्रवाल-पिम्बफल-सन्निभाऽधगेष्ठा --उपचित =पुष्टोय शिलाप्रपाल =पिद्रुम , निम्यफलम्-अत्तावारण पुष्ट वनवल्लीफलम् , तसन्निी तुन्यौ अपरोप्ठौ-ओप्द्रय येपाते, तथा-विद्रुमनित्रफल यत् अतीवरक्तोष्ठद्वयव त , 'पडुर-ससियल-विमल णिम्म सख-गोखीर फण दगरय-मुणालिया पर्व-दतसेही' पाण्डर शनिशकल-विमल-निर्मल-गह-गोक्षीर-फेन-करजो-मृणालिका-धवल-दन्तश्रेणय , पाण्डुरभागारल-शुभ्रचद्रसण्ट , तद्वद्विमलनिर्मला विमलेप्वपि निर्मला अतीवोज्वला ,अतएव गङ्खइनके नेत्र थे। (पत्तल-णिम्मलग-ईसी-सिय-रत्त तप-णयणा) ये नेत्र पक्मल थे सूक्ष्म रोमयुक्त थे, निर्मल थे, कुछ श्वेत थे, इपढक्त थे, और कुछ २ लाल भी थे। (गरुला-यय-उज्जुतुंग-नासा) गरुड के समान दीर्घ, कन्या-सरल एव ऊँची इनकी नामिका थी। (ओयविय-सिलप्पवालविवफल सण्णिभा हरोद्वा) पुष्ट शिलप्रवाल-विद्रुम (मूंगा), एव अतीव अरण बिम्बफल के समान लाल उनके टोना ओष्ठ थे। (पडर-ससि-सयल-विमल-णिम्मलसख-गोखीर-फेण-दगरय-मुणालिया-धवल-दतसेढी) धवलचद्र के खट के घन्टाप२-उमदाना ने मेमन नेत्र ता (पत्तर णिम्मला ईसी मिय रत्ततरणयणा) એ નેત્ર પફર્મલ હતા–સૂમ રેમ (વાળ) યુક્ત હતા,નિર્મળ હતા, ઈડ ધોળા
ता, प ता , मने सास पशु उता (गमलायय उज्जु तुग-नासा) गरउनकी मामी, भ२८ अनेची भनी नासिर हुती (ओयविय सिल्पवाल मिवफल-सपिमा हरोदा) पुष्ट शिसप्रवास विद्रुभ (भू॥) मने अतिशय बासना मिसन वा राता मना मन्ने छ (पडुर-ससिसयल-विमल णिम्मल-सख-गोखीर-फेण-दगरय-मुणालिया-चवल-दतसेढी) मई यम इना