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मम्दीस्त्रे ७०४ निद्रामुपगतः किंचिन्नोवाच । ततो राजा लीलाकऋतिकया रोहकं मनाक् स्पृशति । ततश्च रोहको विनिद्रः संजातः । राजा पृच्छति-अरे रोहकः ! किं स्वपिपि ? । रोहकेणोक्तम्-राजन् ! जागर्मि । राजा प्राह-तर्हि किं चिन्तयसि ?। रोहकेणोक्तम्राजन् ! एतचिन्तयामि-भवतः कतिपये पितरः सन्तीति । ततो राजा सलज्जः सन् मनाक् तूष्णींस्थित्वा पाह-कथय-मम कति पितरः सन्तीति । रोहकः प्राहराजन् ! पञ्च । राजा पुनः पृच्छति-कथय-ते च के। रोहकेणोक्तम्-प्रथमस्तावद् वैश्रवणः वैश्रवणस्येव भवतो दानशक्तेर्दर्शनात् । द्वितीयश्चाण्डालः, शत्रुसमूहं प्रति चाण्डालरोहक को जगाया पर वह नहीं जगा । इतनेमें राजाने सोते हुए उसके शरीरमें कंघी के दोंतों का स्पर्श कराया तो वह निद्रारहित हो गया पर ज्यों का त्यों पड़ा रहा । इतने में राजा ने पुनः उससे पूछा-रोहक! जग रहा है या सो रहा है।रोहकने उत्तर दिया महाराज!जग रहा हूं। राजा ने कहा-क्या विचार कर रहा है ? राजा के इस प्रश्न को सुनकर रोहक ने कहा-क्या कहूं? राजाने कहा कुछ तो कह।रोहक ने कहा-यदि कहंगा तो आप नाराज हो जावेंगे, राजा ने कहा-नाराज नहीं होऊंगा, कह। तब रोहकने कहा-सुनिये में इस समय यह विचार कर रहा हुँ कि आप के कितने पिता हैं ? राजा को इस रोहक के विचार पर कुछ लज्जा जैसी तो आई पर उसने वह उसके लिये प्रकट नहीं होने दी, थोडी ही देर चुप रहने के बाद राजा ने रोहक से कहा-मेरे कितने पिता हैं ? रोहक ने कहा-आपके पांच पिता हैं। राजा-वे कौन २ से हैं? बतला। માં પણ તે જાગે નહીં. એવામાં રાજાએ સૂતેલા એવા તેના શરીર પર કાંસકીનાં દાંતાઓને સ્પર્શ કરાવ્યું તે નિદ્રા રહિત થઈ ગયે પણ ત્યાંને ત્યાં પડી રહ્યો, એટલે રાજાએ તેને ફરીથી પૂછયું, “હક ! તું જાગે છે કે ઉઘે छ ?” रोड ४वाय साध्या, “महा२।४! नछु., शलमे पूछ्यु,“ विया२ ४२ छ ?'" । २मा प्रश्न सामजी रोड ४द्यु, "शुं ४९" રાજાએ કહ્યું, “કંઈક તે કહે ” રેહકે કહ્યું “જે કહીશ તે તમે નારાજ थ." रात प्रयु “४९, नाग नही था." श ४ह्यु, "साला, અત્યારે હું તે વિચાર કરી રહ્યો છું કે આપના પિતા કેટલા છે?” રાજાને રેહકના આ વિચાર પર છેડી શરમ જેવું તો લાગ્યું પણ તેણે તે તેની પાસે પ્રગટ થવા દીધી નહીં. થોડીવાર મૌન રહીને રાજાએ રોહકને પૂછ્યું “મારે કેટલા पिता छ १" । ह्यु " मापना पांय पिता छे." शत पूछ्यु "त।