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भानचन्द्रिका टीका-मल्लकदृष्टान्तेन व्यञ्जनावप्रहप्ररूपणम्. व्यक्तं न शृणोति, किंतु सामान्यमात्रमनिर्देश्यं गृह्णातीत्यर्थः । यदपि चोक्तम्-तेन श्रोत्रा शब्द इत्यवगृहीतमिति, तदिदमवग्रहपतिपादनार्थमुक्तम् , न तु तेन श्रोत्रा 'शब्दः' इति निश्चयेन ज्ञातम् , अत एव तस्य विवरणं कुर्वन् भगवानाह-'नो चेव णं' इत्यादि। नो चैव जानाति-क एष शब्दः? इति-शब्दतया तमर्थ न जानातीत्यर्थः, अर्थावग्रहस्य अनिर्देश्यसामान्यमात्रप्रतिभासकत्वात्। अर्थावग्रहश्च श्रोत्रेन्द्रियघ्राणेन्द्रियादीनां व्यञ्जनावग्रहपूर्वक इति पूर्व व्यञ्जनावग्रहोऽपि द्रष्टव्यः । तदेवं नामजात्यादिक से अनिर्देश्य मात्र सामान्यरूप ही है। यही बात सूत्रकारने " अन्वत्तं सदं सुणिज्जा" इस सूत्रांश से प्रकट की है। श्रोता के कानमें पड़ते ही वह यह जान लेता है कि 'यह परमार्थतः शब्द ही है किन्तु अव्यक्त है' व्यक्तरूप-विशेषरूप-से वह उसे ग्रहण नहीं करता है-मात्र सामान्यरूप से ही वह उसे जानता है। सूत्रकारने जो ऐसा कहा है कि उस श्रोता ने 'यह शब्द है ' ऐसा जो जाना है सो उसका तात्पर्य यही है कि उसने उसको अवग्रहज्ञान के द्वारा ही जाना है। इस तरह सूत्रकार का यह कथन अवग्रह के प्रतिपादन निमित्त जानना चाहिये। इसका तात्पर्य यह नहीं है कि उस श्रोता ने शब्द का निश्चय कर लिया है। इसी बात का विवरण करते हुए सूत्रकार आगे कह रहे हैं-कि “नो चेव णं" इत्यादि। यह शब्द किसका है ' अथवा 'किस स्वरूप वाला है' यह बात उस समय श्रोता नहीं जानता है। अवग्रह दो प्रकार का है-(१) व्यंजनावग्रह (२) अर्थावग्रह । व्यंजनावग्रह की ही
थी अनिश्यि मात्र सामान्य३५१ छ. मे पात सूत्रधारे “अव्वत्तं सद्ध सुणिज्जा" या सूत्रांशथी प्रगट ४२८ छ. श्रोतानाने ५ता ते से જાણી લે છે કે “આ પરમાર્થતઃ શબ્દ જ છે પણ અવ્યક્ત છે” વ્યક્તરૂપ વિશેષરૂપે તે તેને ગ્રહણ કરતું નથી. માત્ર સામાન્યરૂપે જ તે તેને જાણે છે. સૂત્રકારે જે એમ કહ્યું કે શ્રોતાએ “આ શબ્દ છે ” એવું જે જાણ્યું છે, તેનું તાત્પર્ય એ જ છે કે તેણે તેને અવગ્રહજ્ઞાન દ્વારા જ જાણે છેઆ રીતે સૂત્રકારનું આ કથન અવગ્રહના પ્રતિપાદન નિમિત્તે જાણવું જોઈએ. તેનું તાત્પર્ય એ નથી કે શ્રોતાએ શબ્દને નિશ્ચય કરી લીધો છે. એજ વાતનું વિવરણ કરતાં सूत्र२ मा छे ४-" नो चेव ण" इत्याहि "2॥ श६ आना " અથવા “કયા સ્વરૂપવાળા છે” આ વાત તે સમયે શ્રાતા જાણતું નથી. અવघर में मारना छ-(१) व्यसनायड, (२) अर्थात् यह नानी पुट. પર્યાય અર્થાવગ્રહ છે, આ વાત હમણાં જ બતાવાઈ ગઈ છે. અર્થાવગ્રહને न० ५२