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________________ स्वरूप का निरूपण ૬૮૧-૧૮૮ ९० 'क्रोधनिग्रहरूप ' दूसरी भावना का निरूपण ६८९-६९२ ९१ 'लोभनिग्रहस्प ' तीसरी भावना का निरूपण ६९३-६९६ ९२ 'धैर्य' नाम की चौथी भावना के बरप का निरूपण ६९७-७०० ९३ पाचवी 'मौन' भावना के स्वरूप का निरूपण ७००-७०४ ९४ अध्ययन का उपसहार ७०५-७१० तीसरा अध्ययन ९५ अदत्तदानविरमण के स्वरूप का निरूपण ७११-७२१ ०६ कैसा मुनि अदत्तादानादि त्रत का आराधन नहीं ___करते उसका निरूपण ७२२-१२७ ९७ कैसा मुनि इस व्रत का पालन कर सकते है उसका निरूपण ७२७-७४० "९८ 'विविक्तवसतित्रास' नाम की प्रथम मावना का निरूपण ७४१-७४७ ९९ ' अनुज्ञातसस्तारक ' नामकी दूसरी भावना का निरूपण ७४८-भ५१ १०० शय्यापरिकर्म वर्जन ' रूप तीसरी भावना का निरूपण ७५२--७५६ १०१ 'अनुज्ञातभक्त ' नामक चौथी भावना का निरूपण ৬৭৩-৬৪০ १०२ 'विनय ' नामकी पांचवी भावना का निरूपण ७६१-७६४ १०३ अध्ययन का उपसहार ७६५-७७० चौथा अध्ययन १०४ ब्रह्मचर्यके स्वरूप का निरूपण ७७१-७८८ १०५ ब्रह्मचर्य आराधन का फल ७८९-७९५ १०६ ब्रह्मचारी को आचरणीय और अनाचणीय आदिका निरूपण ७९६-८०३ १०७ 'अससक्त वासवसति' नामकी मम भावना का निरूपण ८०४-८०८ १०८ 'स्वीकथा विरति ' नामकी दसरी भावना का निरूपण ८०९-८१५ १०९ 'स्त्रीरूप निरीक्षण ' वर्जन नामकी तीसरी भावना का निरूपण ८१६-८१८ ११० 'पूनरत पूर्वक्रीडितादि ' विरति नामकी चौथी भावना का निरूपण ८१९-८२५ १११ 'मणीतभोजनवर्जन' नामकी पांचवी भावना का निरूपण ८२६-८२९ ११२ चतुर्थ अध्ययन का उपसहार ८३०-८३४
SR No.009349
Book TitlePrashna Vyakaran Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1962
Total Pages1106
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_prashnavyakaran
File Size36 MB
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