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६७ युगलिकों के स्वरूप का निरूपण
४४५-४६७ ६८ युगलिनीयों के स्वरूप का निरूपण
४६७-४८५ ६९ चौथे अन्तर का निरूपण
४८५-४९४ ७. चोथा अध्ययन का उपसहार
४९४-४९८ पांचवा अध्ययन । ७१ परिग्रह के स्वरूप का निरूपण
४९९-५०६ ७२ परिग्रह के तीस नामों का निरूपण
५०७-५१२ ७३ जिस प्रकार से जो जीव परिग्रह करते हैं उनका निरूपण ५१२-५२७ ७४ मनुष्य के परिग्रह का निरूपण
५२८-५३२ ७५ परिग्रह से जीव को किस फल की प्राप्ति होती है उनका निरूपण
५४०-५४६ ७६ पाचवा अध्ययन का उपसहार
५४७-५५० दूसरा भाग-पला अध्ययन ७७ पाचसवर द्वारों के नाम और उनके लक्षणों का निरूपण ५५१-५५८ ७८ प्रथमसवरद्वार का निरूपण
५५९-५६९ ७९ अहिंसा के महात्म्य का निरूपण
५७०-५७२ ८. अहिंसा धारण करने वाले महापुरुष के स्वरूप का निरूपण ५७३-६०१ ८१ अहिंसा को पालन करने को उद्यत होने वालों के कर्तव्य का निरूपण
६०२-६१६ ८२ अहिंसावत की ' ईर्यासमिति' नाम की प्रथम भावना का निरूपण
६१७-६२२ ८३ 'मनोगुप्ति' नाम की दूसरी भावना का निरूपण ६२३-६२५ ८.४ 'वचनसमिति' नाम की तीसरी भावनाके स्वरूप का निरूपण ६२६-६२८ ८५ 'एपणासमिति' नामकी चौथी भावना के स्वरूप का निरूपण ६२९-६३९ ८६ 'निक्षेप' नामकी पांचवी भावना का निरूपण ६४०-६४२ ८७ प्रथम अध्ययन का उपसहार
६४३-६४८ दूसरा अध्ययन ८८ सत्य के स्वरूप का निरूपण
६४९-६८४ ८९. अनावचिन्त्य समिति' नाम की प्रथम भावना के