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________________ सुदर्शिनी टीका अ०५० ३ यथा ये परिग्रह कुर्वन्ति तन्निरूपणम् पा J 1 - Arda + 'विहा जोइसिया ये देवा वहस्तई बदर एकछि सहधूमकेउ बुहाय अंगारकाय तत्त्तवणिजकण जेवहा जोइसियम्मि चारी चरंति केऊयागइरइया- अट्टावी पति विहाय नक्खत्त देवगणा, गाणी ठाणसठियाओं प ""तारगाऔ, ठियलेंसांचारिणो य अविस्सा ममडलाई । मरिचराउडलोगवासी दुविहा वैमाणिया देवासोहम्मीरिसाण सणकुमार- माहिद - बभलोगलंत के महासुक्स हस्ता आणयपाणय- आण्डेच्या, कप्परविसायवासिणी वासुरगणा: गेवेज्जा, अणुत्तरा य दुविहा कप्पाती या विमाणवासी महिड्डिया उत्तमा सुखरा एत्र चेते चिउत्रिहास परिसा 'धि' देव ' ममायति । भवणं वाणजाणविमायणासणाणि यणाणात्रित्थभूसणाणि 'य' पवरपहरणाणि य- जाणी मणि पत्रोपर्णादिव्वं य भायणाविर्हि नाणादिहका मरुवब्रेड * दिवयं अच्छराए, द्वीव्रतमुद्दे, दिसाओं, विदिशाओ इणिय वणसडे पत्र गामनमणिय आसमुज्जा में काणणाणि घ कूत्र सरतले ययाविहिग्य देवकुलसंभवावः' "सहिमाइया" किराणाणि यं प्रगिविहत्ता परिग्गृह, मिउल•सार देवा वि सईदगा न वित्ति न छुट्टि उबल मंति, अञ्च्चत Fi स्व 1 1 विलोभाभिभूयन्ना ।" " - ;"; ~ श 2 +1 12 I' पे י لا J प १३ X-1 वासहर इक्खुगवट्टपव्वय कुडलरुयावर माणुसुत्तरका लीदहिलवणसलिलदहपतिरति कस्थजण कसे लदे हिमुह ओवोयुपायकचणकविचितज मकवर लिटरिकूडवासी सू० ३॥ कामरे , ~ 228 4 टीका तँच पुग परिग्ग" चे पुन परिग्रह पुनः शब्दोऽत्र
SR No.009349
Book TitlePrashna Vyakaran Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1962
Total Pages1106
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_prashnavyakaran
File Size36 MB
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