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प्रकाशिका टीका-सप्तमवक्षस्कारः सू. २६ मासपरिसमापकनक्षत्रनिरूपणम् ४३३ पयन्तीति प्रश्ना, भगवानाह-'गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! 'चत्तारि णक्खत्ता ऐति' चत्वारि नक्षत्राणि पोपमासं नयन्ति-परिसमापयन्ति 'तं जहा' तद्यथा-'मिगसरं अदा पुणबसू पुस्सो' मृगशिर आपुनर्वसु: पुष्यः तदेतानि चत्वारि नक्षत्राणि मिलित्वा पोपमासं परिसमापयन्ति, तत्र कानि नक्षत्राणि कियन्ति दिनानि परिसमापयन्ति तत्राह-मिगसिरं' इत्यादि, 'मिगसिरं चउद्दसराइंदियाईणेइ' मृगशिरोनक्षत्रं पौषमासस्य प्राथमिकानि चतुर्दशरात्रिंदिवं नयति-परिसमापयति, 'अदा अट्ठणेई' आनिक्षत्रं पौषमासस्य अष्टौ रात्रिदिवं नयति-परिसमापयति, 'पुणवम् सत्तराई दियाई' पुनर्वसनक्षत्रं पौषमासस्य तृतीयानि सप्त नक्षत्र होते हैं ? अर्थात् अपने अस्त होने रूप समय के द्वारा कौन २से नक्षत्र इस मास को समास करते हैं ? इस प्रश्न के उत्तर में प्रभु कहते हैं-'गोयमा! चत्तारि णक्खत्ता णति' हे गौतम ! इस मास को चार नक्षत्र अपने अस्त होने रूप समयद्वारा समाप्त करते हैं-"तं जहा' उनके नाम इस प्रकार से हैं-'मिगसिरं, अद्दा, पुणव्वसू, पुस्लो' मृगशिर, आर्द्रा, पुनर्वसु, और पुष्य इन नक्षत्रों में से कौन नक्षत्र पौषमास के कितनी अहोरात्रों को समाप्त करते हैं-अर्थात इन चार नक्षत्रों में से कौन२ नक्षत्र पौषयास के ३० दिनों में से कितने दिनों तक उदित रह कर अस्त हो जाते हैं ? अब इस बात का विचार करते हुए प्रभु गौतमस्वामी से कहते हैं-'मिगतिरं चउद्दसराई दियाइं ऐति' मृगशिर नक्षत्र पौषमास के १४ अहोरातों को समाप्त करते हैं-अर्थातू मृगशिरा नक्षत्र पौष मास के प्रथम १४ दिनों तक उदित रहता है फिर वह अस्त हो जाता है 'अद्दा अट्ठ णेई आनक्षत्र पोषनास के ८ दिनों को परिसमाप्त करता है 'पुणव्वसु सत्त राइंदियाई' पुनर्वस्तु नक्षत्र पौषमास के सात दिन रातों को समाप्त करता है 'पुस्सो एगं राइं दियं जेई' और पुष्य नक्षत्र एक रात दिन को समाप्त करता है પિતાના અસ્ત થવા રૂપ સમયની દ્વારા કયા ક્યા નક્ષત્ર આ માસને સમાપ્ત કરે છે? मा प्रक्षन उत्तरमा प्रभु ४ छ-'गोयमा ! चत्तारि णक्खत्ती णेति' गौतम ! म भासन यार नक्षत्र पोताना मस्त थवा ३५ समय द्वारा समास ४रे छे-'तं जहा' तमना नाम मा प्रमाणे छ-'मिगसिरं, अद्दा, पुणव्वसु, पुस्सो' भृगशिर माद्री, पुनर्वसु मन पु०५ ॥ નક્ષત્રમાંથી કયા નક્ષત્ર પિષમાસની કેટલી અહારાત્રિને સમાપ્ત કરે છે–અર્થાત આ ચાર નક્ષત્રમાંથી કયા કયા નક્ષત્ર પિષમાસના ૩૦ દિવસે માંથી કેટલા દિવસ સુધી ઉદિત રહીને અસ્ત થઈ જાય છે ? હવે આ વાતને વિચાર કરતા થકા પ્રભુ ગૌતમસ્વામીને ४ छ-'मिगसिरं चउद्दसराइंदियाई ऐति' भृगशि२ नक्षत्र पोषमासनी १४ माडरातान સમાપ્ત કરે છે–અર્થાત્ મૃગશિર નક્ષત્ર પિષમાસનાં પ્રથમ ૧૪ દિવસ સુધી ઉદિત રહે छे पछी त मस्त थ य छे. 'अद्दा अदु णेई' 2 नक्षत्र पोषभासन मा पिसाने परिसमास ४२ छ. 'पुणव्वसु सत्तराईदियाई पुनसु नक्षत्र पोषभासन सात हिस
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