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________________ કું पक्षतिसूत्रे प्रज्ञौ कथिताविति । भेदयमेव दर्शयति- 'तंग' इत्यादि, 'त जहा' तथा 'बहुल पत्रखेय सुकपक्खेय' बहुलपक्षः कृष्णपक्ष शुक्लपक्ष, इमामेव सितासितशब्देन व्यवहि येते, तत्र कृष्णपक्षो यत्र वराहः सविमानेन चन्द्रविमानमावृणोति तेज योऽन्त्र फारवहुल. पक्षः स बहुलपक्षः कृष्णपक्षापरपर्यायः, यन च स एव राहुः चन्द्रविमानमानावृतं करोति तेन चन्द्रिका वलिततया शुक्लपक्षः स शुक्यपक्ष इति । सम्पति कृष्णपक्ष शुक्लपक्षयोः दिवमसंख्यां ज्ञातुं पश्नपनाह - ' एगमेगस्स णं' इत्यादि, 'एगमेगस्थ णं भंते ! पक्खस्स' एकैकस्य रालु भदन्छ ! पक्षस्य 'का दिवसा पन्नता' कतिकियत्संख्यकाः दिवसाः - दिनानि प्रज्ञताः - कविता इति प्रश्नः, भगवानाद - 'गोयमा' इत्यदि, 'गोमा' हे गौतम ! 'पन्नरम दिवसा पनता' पञ्चदश संख्यका दिवसाः प्रज्ञप्ताःकथिताः । यद्यपि दिवसशन्द: अहोरात्रे प्रसिद्ध स्वापि प्रकृने सूर्यप्रकाशन्तः कालविशेइसके उत्तर में प्रभु कहते हैं 'गोयना ! दो पकखा पन्नत्ता' हे गौतम एक २ मास के दो पक्ष होते हैं । 'तं जहा' जैसे- 'बलवरखेव सुक्लपक्खे य' कृष्णपक्ष और शुक्लपक्ष जिस पक्ष में ध्रुव राहु अपने विमान से चन्द्र के विमान को ढक लेता है इस से जो पक्ष में अन्धकार बहुत होता है वह बहुलपक्ष है इसीका दूसरा नाम कृष्णपक्ष है और जिस पक्ष में ध्रुव राहु चन्द्र विमान को अपने विमान से अनावृत आवरण रहित कर देता है इस से जो पक्ष चन्द्रिका से धवलित बन जाता है वह शुक्लपक्ष है कृष्णपक्ष शुक्लपक्ष के दिवस संख्याकथन ' एगमेगस्स णं भंते । पक्खस्स कह दिवसा पन्नत्ता' हे भदन्त ! एक एक पक्ष कितने दिवस होते हैं ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं - 'गोयमा ! पश्नरसदिवसा पत्ता' हे गौतम! एक एक पक्ष के १५ दिवस होते हैं । यद्यपि दिवस सेना नवामभां अलु हे छे- 'गोयमा। दो पक्खा पन्नत्ता' हे गौतम! ये भासना मे पक्षे' होय छे. 'तं जहां' म 'बहुलक्खे य सुक्कपाखे य' प्यपक्ष मने शुरुस पक्ष ने પક્ષમાં વરાહુ પોતાના વિમાનથી ન્દ્રના વિધાનને આચ્છાદિંત કરી લે છે, એનાથી જે પક્ષ અંધકાર મહેલ હાય છે તે મહેલ પક્ષ છે એવું જ બીજું નામ કૃષ્ણપક્ષ છે. અને જે પક્ષમાં રાહુ ચન્દ્ર વિમાનને પોતાના વિમાનથી અનાવૃત-બાવરણુરહિત કરી નાખે છે એનાથી જે પક્ષ ચન્દ્રિકાર્થી ધવલિત ને છે તે શુક્લપક્ષ છે. કૃષ્ણપક્ષ શુક્લપક્ષમાં દિવસ સ ંખ્યા કથન 'एग मेस्सणं भंते ! पक्खस्स कइदिवसा पन्नत्ता' हे लहंत ! 5-मे: पक्षना डेटला द्विवसो होय छे? सेना वामभां अलु डे - 'गोयमा ! पन्नरस दिवसा पन्नत्ता' ગૌતમ ! એક-એક પક્ષના ૧૫ દિવસે હોય છે પિ દિવસ શબ્દ અહોરાત્રમાં પ્રસિદ્ધ છે તથાપિ પ્રકૃતમાં સૂર્યપ્રકાશવાળા કાળ વિશેષને જ દિવસ શબ્દથી 1 વિવક્ષા થયેલી છે.
SR No.009347
Book TitleJambudwip Pragnaptisutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1978
Total Pages569
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jambudwipapragnapti
File Size46 MB
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