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जम्बूद्वीपप्रशसिस्न १२८
सम्प्रति-उक्तमेवार्थ लोकहिताय प्रकारान्तरेण दर्शयितुं द्वादशद्वारमाह-'जवुद्दीवेण' इत्यादि, 'जंबुद्दीवेणं भंते ! दीवे' जम्बूद्वीपे खलु हीपे सर्वद्वीपमध्य जम्बूद्वीपे इत्ययः 'मरियाणं' सूर्ययोः 'कि तीते खेत्ते किरिया कन्जा' किमतीते क्षेत्रे क्रिया क्रियते, द्वयोः सूर्ययोः या अवमासनादिका क्रिया सा क्रियते-भवतीत्यर्थः किम्बा-'पड्डुप्पण्णे खेत्ते किरिया कज्जई' प्रत्युत्पन्ने वर्तमाने क्षेत्र क्रिया क्रियते भवति यद्वा 'अणागए खेले किरिया कज्जइ' अनागते क्षेत्रे क्रिया क्रियते इति प्रश्ना, भगवानाह-'गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! 'णो तीए खेत्ते किरिया कजइ' नो अतीते क्षेत्रे सूर्ययोः क्रिया क्रियतें, अतीत भी प्रतीति कोटि में-देखने में आजाती है। प्रकाश ताप, और प्रभास पदों स्पृष्ट आदि पदका निवेश करके आलाप प्रकार अपने आपही उद्धाचित करलेना चाहिये क्योंकि विस्तार भय से हम उसे यहां नहीं लिख रहे हैं । ११वा दार समास ___ अब इसी कथित अर्थ को लोकहित के निमित्त प्रकारान्तर से प्रकट करने के लिये सूत्रकार १२ वें द्वार का कथन करते हैं
इसमें गौतम ने प्रभु से ऐसा पूछा है 'जंबुद्धीवेणं भंते ! दीवे सूरियाणं कितीते खेते किरिया कज्जई' हे भदन्त ! जम्बूद्वी नामके द्वीप में इन दो सूर्यों की अवभासनादि क्रिया होती है तो क्या वह अतीत क्षेत्र में उनके द्वारा की जाती है ? या पड्डुप्पण्णे खेत्ते किरिया कज्जइ' प्रत्युत्पन्न क्षेत्र में वर्तमान में उनके द्वारा वह की जाती है ? या 'आणागए खेते किरिया कज्जई' अनागत क्षेत्र में वह उनके द्वारा की जानी है ? इन प्रश्नों के उत्तर में प्रभु गौतमस्वामी से कहते हैं'गोयमाणो तीए खेत्ते किरिया कजई' हे गौतम! उन दोनों सूर्यो द्वारा जो अव. भासनादि क्रिया की जाती है वह अतीत क्षेत्र में नहीं की जाती है क्योंकि अतीत છે. પ્રકાશ, તાપ અને પ્રભાસ પદે સ્પષ્ટ વગેરે પદને નિર્મિત કરીને આલાપ પ્રકાર પિતાની મેળે જ ઉશવિત કરી લેવો જોઈએ. કેમકે વિસ્તારભયથી અમે અત્રે લખતા નથી.
रोशा समास હવે એજ કથિત અર્થને કહિત માટે પ્રકારાન્તરથી પ્રકટ કરવા માટે સૂત્રકાર ૧૨ મા દ્વારનું કથન કરે છે
___१२ भाद्वारमा गौतमस्वाभीमे प्रभुन त प्रश्न ४ छ-'जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे सूरियाणं किं तीते खेत्ते किरिया कजई'३ मत! दीप नाम बीपमा में સૂર્યોની જે અવભાસનદિ ક્રિયા થાય છે, તે શું અતીત ક્ષેત્રમાં તેમના વડે કરવામાં આવે छ. अथवा 'पडुपण्णे खेत्ते किरिया करजई' प्रत्युत्पन्न क्षेत्रमा वर्तमान क्षेत्रमा तमना बड़े a ४२वामां आवे छे १ ५२। 'अणागए खेत्ते किरिया कन्जई' मनात क्षेत्रमा त तेमना पडे ४२पामा भाव छ ? प्रशोना याममा प्रभु गौतभस्वामी ४ छ-'गोयमा ! णो तीए खेते किरिया कजई गौतम!ते में सूर्यो रे भवासना या ४२वामी