________________
men
1
-
1
-1
1-1- HT15 'कट्टभगवआतित्थ
FEM आयंसहत्थगया
ओ आगायमाणाओ
TOT
कारण जैसे की समापिमाणीको परिणायमाणा गरमागरम पत्यि
196 पति भगवानू का जन्म
। गया
सा अवधि
राशिका टीका-पञ्चमवक्षस्कारः सू. ३ पौरस्त्यरुचकनिवासिनीनामवसरवर्णनम् ::ke
तथा नन्दोत्तरा, च, समुच्चये, नन्दा, आनन्दा,३ नन्दिवर्द्धता -HITE:- विजया च ५, वैजयन्ती... जयन्ती, अपराजिवा,, P SY इत्येताः नामतः कथिता सेस.तचेव जाव. तुल्भाहिं ण भाइयव्वं, तिकट्टाभिगवओ वित्थरस्स तित्थयरमायाए य शेषम् आसनसम्पावधिप्रयोगभगवदर्शनपरस्पराद्वानः स्वस्वाभियोगिककृत्यानविमानविकुणादिकं तथैव यावद् युष्माभि न भेतव्यम् इतिः कृत्वा, इल्युक्त्वा भगवतस्तीर्थङ्करस्य तीयङ्करमातुश्च-पुरस्थिमेणं आयंसहधगयाओ आगीयमाणीओ परिगायमागीलो, चितिपौरस्त्येन-पूर्वरुचकसमागतत्वात् । पूर्वते, आदर्शहस्तगता हस्तगत दिक्कुमारिकाओं के नाम इस प्रकार से है 'ण'दुत्तरायर, गदा ३, आणुदा ३, जांदिवद्धा, विजया ये ५, बैजयंती ६, जयंती ७, अपराजिया नन्दोतरा, नन्दा, आनन्दा, नन्दिवर्धना, विजया, वैजयन्ती, और अपराजिता सेस तचेव
तित्थयरमायाए यपुरस्थि
चिट्ठति यहां बाकी को कथन-जैसे आसन को कम्पायमान होना, उसे देखकर अवधिज्ञान द्वारा जानना, फिर आपस में बुलाकर मंत्रणा करना, अपने अपने आभियोगिक देवों की धुलाना, उन्हें यौन विमान तैयार करने की आज्ञा देना, इत्यादि सव
कधन जैसा प्रथम सूत्र में किया गया है वैसा ही वह सब यहां पर समझलना Fचाहिये और वह सब कथन यावत् आपको भयभीत नहीं होना चाहिये यहां
दिग्भागवी रुचके कट बासिनी दिक्कुमारियां भगवान का "कर माता के पास-समुचित स्थान पर हाथ में दर्पण लिये हुए खड़ी हो गई नाणदा .२,, आणंदा ३, विवृद्धणा - विजयास ५:: वेजयंति, ६, जयंती-७, अपराजिया ८ "न-तर, H-, Arial, Heal, doel, Arural, rय-भने ordl.
मैंण आयसहयगयाओ" आगायमाणीओ परिगायमाणी) चिति" शबनम "ઓયન કપિત
થ ઈને અવધિફર્મથી તેનું કારણ જાણવું ઐર્ટલ છે કાન “સ્થાને એકત્ર થઈને સપ્તાહ કરવ” પતિ-પોતાના અભિયોગિક એને લાવવી, વિને શ્વાન વિમાન તૈયાર દવા આ પવી વગેરે બધુ ધન રે પંથમરમાં પષ્ટ are like out तो मन तारनामा
ज०७४
Ri..
2
हण करलना
हिय इस प्रकार कहक
खडाही.
ण भाइयव्व
तेकटूटु भगवओ तित्थयरस,तित्थयरमायाए य पुरत्ति
INE Im
r i - Aધિજ્ઞાન વડે જાણવું, પછી એક–અંજાર્ન બાલાવીને એક
मोटा
वाम
म
ત થાઓ નહિ, અહી
PUPTIOTE
s:
..
५