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________________ प्रकाशिका टीका-चतुर्थवक्षस्कारः सू० ३४ विद्युत्प्रभवक्षस्कारपर्वतवर्णनम् . ४०९ तस्य नितिकोणे चतुर्थ पक्षमकूट, पक्ष्मकूटस्य नितिकोणे स्वस्तिककूटस्योत्तरदिशि पञ्चमं कनकट, तस्य दक्षिणस्यां दिशि स्वस्तिककूटं नाम पष्ठं कूट, तस्य दक्षिणदिशि सप्तमं शीतोदाकूट, तस्य दक्षिणदिशि शतज्वलकूटं नामाष्टमं कूट, नवमं हरिकूटं शीतोदाकूटस्य दक्षिणलां दिधि निषधपर्वतसमीपति, अस्य यो विशेषस्तमतिदिशति-'जहा बालवंतस्स' यथा माल्यक्तो वक्षस्कारपर्वतस्य 'हरिस्साकूडे' हरिस्सहकूटं नाम क्रूटमेसहायोजनोच्चमहतीयशतान्यवगाढं मूले सहस्त्रयोजनानि विस्तीर्णं यमकप्रमाणेन ज्ञातुं मानिर्दिष्टं 'तह चेव तथैव हरिकूटं बोध्यम्, हरिस्सहकूटं च पूर्णभद्रस्योपदिशि नीलवतो लक्षिपदिशि प्रायुक्तम्, अस्य राजधानी प्रदर्शयितुमाह-रायहाणी जह चेव दहिणेणं चसरचंचा रायहाणी तह जेवव्या' राजधानी यथैव दक्षिणेन-दक्षिणदिशि चमरचचा राजधानी वर्णिता तथैव सिद्धायतन कूट की नैऋत विदिशा में विद्युत्मा कूट कहा गया है विद्युत्मभ कूट की नैऋत विदिशा में देवकुरु कूट कहा गया है देवकुरु कूट की नैऋत विदिशा में पक्ष्मकूट कहा गया है पक्षमकूट की लत विदिशा में और स्वस्तिक कूट की उत्तर दिशा में पाचवां कनककूट कहा गया है सरकार की दक्षिण दिशा में स्वस्तिककूट नामका छट्ठा कूट कहा गया है स्वस्तिककट की दक्षिण दिशा में सातवां शीतोदाकूट कहा गया है, शीतोदाकूट की दक्षिण दिशा में शतज्वल नामका आठवां कूट कहा गया है नोवा जो हरिकूट है वह शीतोदा कूट की दक्षिण दिशा में निषध पर्वत के समीपवर्ती कहा गया है जैसो माल्यवन्त वक्षस्कारपर्वत का (हरिस्सहकूडे तह चेव हरिकूडे) हरिस्सह नाम का कूट है वैसा ही यह कूट है यह कूट एक हजार १००० योजन का ऊंचा है २॥ सौ २५० योजन का इसका जमीन के भीतर अवगाह है मूल में यह एक हजार योजन का मोटा है ऐसा ही हरिस्सहकूट है हरिस्सहकूट पूर्णभद्र की उत्तर दिशा ત્યભ ફૂટ આવેલ છે. વિદુભ ફૂટની છત્ય વિદિશામાં દેવકરૂ ફૂટ આવેલ છે દેવકુની નિત્ય વિદિશામાં પહમણૂટ આવેલ છે. પમ ફૂટની નિત્ય વિદિશામાં અને સ્વસ્તિક ફૂટની ઉત્તર દિશામાં પાંચમે કનકકૂટ નામને ફૂટ આવેલ છે. કનકૂટની દક્ષિણ દિશામાં સ્વસ્તિક ફૂટ નામને છઠે ફૂટ આવેલ છે. સ્વસ્તિક ફૂટની દક્ષિણ દિશામાં શતલ નામક અષ્ટમ કૂટ આવેલ છે. નવ જે હરિકૂટ છે તે શીદા ફૂટની દક્ષિણ દિશામાં निष५ पतनी पारी मावद छ. वो भायवन्त १६४२ यता 'हरिस्सह कूडे तहचेव हरिकूडे' रस्सर नाम४ फूट छे तेवमा रिट पY. मा કૂટ એક હજાર જન જેટલે ઊંચો છે. જમીનની અંદર એને અવગાહ ૨૫૦ જન જેટલે છે. મૂળમાં એક હજાર રોજન જેટલો એ મટે છે. એ જ હરિસ્સહ કટ છે. હરિસ્સહ ફૂટ પૂર્ણભદ્રની ઉત્તર દિશામાં છે અને નીલવન્ત પર્વતની દક્ષિણ दिशामा छ. भा प्रभारी पडसा अवामी माव्यु छे. 'रायहाणी ज़हचेव दाहिणेणं चमर ज० ५२
SR No.009346
Book TitleJambudwip Pragnaptisutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1977
Total Pages803
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jambudwipapragnapti
File Size67 MB
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