SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 394
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रकाशिका टीका- चतुर्थवक्षस्कार: सू० २९ द्वितीय विदेह विभाग निरूपणम् ३८५ उत्तर नदी 'महावच्छे' महावत्सः - महावत्सनामा 'विजए' विजय: 'अपराजिया' अपराजिता - अपराजितानाम्नी 'रायहाणी' राजधानी ३ 'वेसमणकूटे' वैश्रवणकूटः- वैश्रवणकूटनामा' 'वक्खारपव्वए' वक्षस्कार पर्वतः 'बच्छावईविजए' वत्सावती विजयः 'पभंकरा' प्रभकरा - प्रभङ्करा नाम्नी 'रायहाणी' राजधानी ४ 'मत्तजला गई' मत्तजला नदी 'रम्मे विजए' - रम्यः रम्यनामा विजयः 'अंकावई रायहाणी' अङ्कावती राजधानी ५ 'अंजणे' अञ्जनः अञ्जनामा 'वक्खापoor' वक्षस्कारपर्वतः 'रम्मगे' रम्यक : - रम्यकनामा 'विजए' विजयः 'पहावई' पक्षमावती - पक्ष्मावतीनाम्नी 'रायहाणी' राजधानी ६, 'उम्मत्तजला महाणई' उन्मतजला उन्मत्त जलानाम्नी महानदी 'रमणिज्जे' रमणीयः- रमणीयनामा 'विजए' विजय: 'सुभा' शुभा - शुभानाम्नी 'रायहाणी' राजधानी ७ 'मायंजणे' मातञ्जनः --मातञ्जननामा 'वक्खारपoar' वक्षस्कारपर्वत: 'मंगलावई चिजए' मङ्गलावती - मङ्गलावतीनामकः जैसा है । त्रिकूड नाम का वक्षस्कार पर्वत है सुबत्स विजय है, कुंडला नामकी यहां राजधानी है और तप्तजला नाम की नदी है महावत्स नामका विजय है अपराजिता नाम की राजधानी है ( एवं वेसमणकूडे वक्खारपव्वए) वैश्रवण कूट नामका वक्षस्कार पर्वत है (वच्छावई विजए पभंकरा रायहाणी) वत्सावती विजय है और इसमें प्रभंकरा नामकी राजधानी है (मत्तजला गई) मत्तजला नाम की नदी है (रम्मे विजए, अंकावई रायहाणी ५ अंजणे वक्खारपव्वए) रम्य नाम का विजय है, अङ्कावती नाम की इसमें राजधानी है अंजन नाम का वक्षस्कार पर्वत है ( रम्मगे विजए पन्हावई रायहाणी ६ उम्मत्तजला महाणई) रम्यक नाम का विजय है, पद्मावती नामकी इसमें राजधानी है और उन्मत्त जला नामकी नदी है (रमणिज्जे विजए सुभा रायहाणी ७ मायंजणे वक्खारपव्वए) रमणीय नामका विजय है शुभ नामकी राजधानी है और मातञ्जन नाम का वक्षस्कार पर्वत है (मंगलावई विजए रयणंसचया रायहाणी ८) मंगलावती • અહીંં ચિત્ર ફૂટ નામે વક્ષસ્કાર પવત છે અને સુવત્સ વિજય છે અહીં કુંડલા નામક રાજધાની છે અને તપ્તજલા નામક નદી છે. મહાવત્સ નામક વિજય છે અને અપરાनिता नामः राजधानी छे. 'एवं वेसमणकूडे वक्खारपव्वए' वश्रवा ईट नाभ पक्ष२४२ पर्वत छे. 'वच्छावईविजए पकरा रायहाणी' वत्भावती विनय हो भने मेभां अल ४२॥ नाभ४ राज्धानी छे. 'मत्तनला गई' भत्ता नामे नही छे. 'रम्मे विजए, अंकावई रायहाणी ५ अंजणे वक्वारपत्रए' २भ्य नाभा विश्य छे, अावती नाभे खेभां राष्ट्रघानी छे, मटन नाम वक्षस्कार पर्वत हे 'रम्मगे विजय पहावइ रायहाणी ६ उम्मत्तजला महाणई' २४५४ नामे विनय छे. अडावती नाम मेभां राज्धानी छे भने उन्भन्त नया नाभ४ नही छे. 'रमणिज्जे विजए सुभा रायहाणी ७ मायंजणे वक्खारपव्वए' રમણીય નામક વિજય છે. શુભા નામક રાજધાની છે અને માતરંજન નામક વક્ષસ્કાર ज० ४९
SR No.009346
Book TitleJambudwip Pragnaptisutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1977
Total Pages803
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jambudwipapragnapti
File Size67 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy