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प्रकाशिका टीका- चतुर्थवक्षस्कार: सू० २२ नीलवन्तादिह्रदर्णनम्
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र्णः - विस्तारयुक्तः, तस्य च ' जहेव पउमद्दहे ' यथैव पद्मइदः 'तदेव वण्णओ णेयव्त्रो' तथैव वर्णको नेतव्यः - ग्राद्यः, 'णाणत्तं' नानात्वं - विशेषश्चायम् ' दोहिं पउमवरवेइयाहिं दोहि य वणसंडेहिं संपरिक्खित्ते' द्वाभ्यां पद्मवर वेदिकाभ्यां द्वाभ्यां च वनपण्डाभ्यां संपरिक्षिप्त:परिवेष्ठितः, -अयं गावः- पद्महूदस्तु एकया पद्मवरवेदिकया एकेन च वनपण्डेन सम्परि क्षिप्तः, अयं नीलवान् हृदस्तु द्वाभ्यां२ ताभ्यां सम्परिक्षिप्तः सीतामहानथा द्विभागीकृतत्वेन उभयपार्श्ववर्ति वेदिकाद्वययुक्तत्वात्, अत्र 'णीलवंते णामं णागकुमारे देवे' देवश्व नीलवान् नागकुमारः इति विशेषः 'सेसं तं चेव' शेषं तदेव पद्महदोक्तमेव 'णेयब्वं' नेतव्यम् - ग्राह्यम्, पद्मादिकं शेषं पद्मइदवबोध्यम्, तन्मानसंख्या परिक्षेपादिकं च तथैव ।
अथ काञ्चनगिरिव्यवस्थामाह - ' नीलवंतद्दहस्स' इत्यादि - 'णीलवंतदहस्स पुन्नावरे ' हृदका वर्णन 'जहेब पउमद्दहे ' इस कथनानुसार पद्महृद के वर्णन के समान 'तहेव वण्णओ roar' उसका वर्णन समझलेवे' 'णाणत्तं' उसवर्णन एवं इस वर्णन में जो विशेषता है वह इस प्रकार है 'दोहिं परमवरवेइयाहिं दोहिय वणसंडेहिं संपरिक्खिते' यह हृद दो पद्मवर वेदिका और दो वनषंडसे परिवेष्टित है । कहने का भाव यह है कि पद्महृद एक पद्मवरवेदिका और एक वनषण्ड से परिवेष्टितहै तब की यह नीलवंत हृद दो पद्मवर वेदिका एवं दो वनषंडसे परिवेष्टित है । सीता महानदी का दो भाग करने से दोनों पार्श्ववर्ति दो वेदिका युक्त होने से दो दो कहा है।
यहां पर 'नीलवंते नागकुमारेदेवे' नीलवान् नामका नागकुमारदेव है यह विशेष है 'सेसं तं चेव' अन्य सब कथन पद्महृद के समान ही 'य' कहना चाहिए, पद्मादिक शेष सब कथन पद्महृद के समान ही समझलेवें, उसका मान परिक्षेप आदि भी उसी प्रकार है ।
पूर्व पश्चिम दिशा तर विस्तारवाणु छे. ते हृहनु वार्जुन 'जहेव पउमद्दद्दे' से उथन प्रभाणे पझाडृहना वर्णुन सरयु छे. 'तहेव वण्णओ णेयव्वो' तेतु वर्षान समल सेवु. 'णाणत्तं' से वार्णुन अने या वर्षानमां ने विशेषता छे ते या प्रभानी छे. 'दोहिं पउमवरवेइयाहिं दोहिय वणसंडेहिं संपरिक्खित्तो' मे हृढ मे पद्मवर वेहि मने मे वनषं उधी વીટળાયેલ છે. કહેવાના ભાવ એ છે કે-પદ્મદ એક પદ્મવર વેદિકા અને એક વનષડથી વીંટળાયેલ છે. અને નીલકત હુઇ એ પદ્મવર વેદિકા અને એ વનષ ́ડથી વીટળાયેલ છે, સીતા મહા નદીના એ ભાગ કરવાથી અને માજુથી એ વેદિકા યુક્ત હાવાથી બબ્બે કહેલ છે. मह्रींयां ‘नीलवंते नाम नागकुमारे देवे' नीतवान् नामना नागकुमार देव छे, भेट विशेष छे. 'सेसं त चेव' जीन्तु तमाम प्रथन पद्मासना स्थन सरयु ४ 'णेयव्त्रं' 'डी લેવું પદ્માદિક ખાકીનું તમામ કથન પદ્મદના સરખું જ સમજી લેવુ, તેનું માપ પરિક્ષેપ વિગેરે પણ એજ પ્રમાણે છે.
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