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राजप्रश्नायसूत्रे मूलम्-तेण कालेणं तेणं समएणं कुणाला नाम जणवए त्था, रिहस्थिमियसमिछ। तत्थ णं कुणालाए जणवएं सावत्थी नाम नगरी होत्था, रिथिमियसमिद्धा जाव पडिरूवा । तिसे णं साव. स्थीए णगरीए वहिया उत्तरपुरस्थिमे दिसीभीए कोटुए नामं चेइए होत्था, पुराणे जाव पालाईए ४ । तत्थ णं सावत्थीए नयरीए पए. सिस्स रन्नो अंतेवासी जियसत्त नाम राया होत्था, महया हिम. चंत जाव विहरइ ॥ सू० १०३ ॥
छाया-तस्मिन् काले तम्मिन् सममे कुणाला नाम जनपद आसोत, ऋदस्तिमितममृद्धः । तत्र म्ल कुणालायां जनपदे श्रावस्ती नाम नगरी आसोद ऋद्धान्ति मनममृद्धा यारत् प्रतिस्पा । नस्याः वल श्रावस्त्या नगर्याः बहिन
'तेण कालेण तेग ममाण इत्यादि ।
मूत्रार्थ--(तेण कारेण तेण समएणं) उस काल में-अवसागी के चौथे आरे में और केशिस्वामी के विहार से उपलक्षित उस समय में (कुणालानाम जणवए होत्या) कुणाला इस नामका देश था (रिस्थि मियसमिद्धे) यह देश ऋद्ध, स्तिमित एवं समृद्ध था यावत् प्रतिरूप -सर्वोत्तम था (तत्थ कुणालाए जणवए सावत्थी नाम नयरी होत्था) उस कुणालादेश में श्रावस्ती नामको नगरी थी (रिस्थिभियसमिद्धा जाव पडिरूवा) यह नगरी भी ऋद्ध स्तिमित एवं समृद्ध थी और यावत् प्रति रूप थी (तीसे ण' सावत्थीए णयरीए बहिया उत्तरपुरथिमे दिसीभाए कोहए नाम चेहए हो था) उसश्रावस्ती नगरी के बाहिर में ईशानकोने में - "तेण कालेण तेण समएण" इत्यादि ।
-सूत्रार्थ-(नेण कालेण तेण समएण) ते अणे-मक्सपिाना याथा भाराभा भने शिस्वामीना विडारना ' सभये (कुणाला णाम 'जणवए होत्था) jाता नामे देश हतो. (रिद्वित्थिर्मियसमिड़े) मा शद्ध स्तिभित भने समृद्ध
तो याबत प्रति३५-सर्वोत्तम तो (तत्थ ण कुणालाए जणवए सावत्थी नाम नयरी होत्था) ने सालदेशमा श्रावस्ती नामे नगरी ती. (रिद्धस्थिमियस मिद्धा जाव पडिरूबा) २नगरी पY ऋद्ध स्तिमित भने समृद्ध ता भने यावत, प्रनि३५ उता. (नीसे ण सावत्थीए णयरीए बहिया उत्तरपुरस्थिमे दिसी भाए कोहर नाम चेहए होत्था) ते श्रावस्ती नगरीनी पडा२ शान सभा