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युधिनी टीका मू. १२ सूर्याभदेवस्य कार्यक्रमवर्णनम यहव आभियोगिका देवाश्च देव्यश्च अध्येकके कलशहस्ताग। यावत् अप्ये. कके धूपहुँच्छुकहस्तगता हृष्टतुष्ट यावद सूर्याभ देव पृष्टतः पृष्ठनः लम
गच्छन्ति । ततःबल म मर्याभो देवः चतसृभिः सामानिकशाहस्त्रीभिः यावत् अन्यैश्च सूर्याभविमानवासिभि बहुभिदें वैश्च देवीभिश्च लाई सम्परितः सर्वा यावर नादितरवेण यत्रैत्र सिद्धायतन तत्रैव देवच्छन्दको सव (रिया देवं पिट्ठओ २ समणुगच्छति) उस मूभिदेव के पीछे २ 'चले (तरण तं सरियाभ देवं बहवे. आभियो र आ देना य देवीओ य अप्पेगइया कलसहस्थगया जाच अप्पेगइया धूबर डुच्छुयहस्थगया-हहतुट्ठ जाव भूरियाभं देवं हिमो समगुगच्छति) इसके बाद उमा सूर्याभदेव के पीछे२ अनेक और भी आभियोगिक देव और देवीयां चलीं-इनमें कितनेक देवदेवियां ऐसी थी कि जिनके हाथों में कलश थे और थानत् कितनेक देवदेवियां ऐसी थी कि जो धूपकाटुनछुकों को अपने हाथों में लिये हुई थी. ये सब हृष्ट. एवं तुष्ट चित्तवाले थे प्रीतियूल मनाले थे. परम सौमस्थित थे और हर्ष के वश से जिनका हृदय उछल रहा है ऐसे थे. (तएणं से सरियाने देवे चउहि लामाणियसाहस्सीहि जाव अग्नेहि य म्हूहि थ सूरिया भविमाणकालीहिं देवेहिं य देवी हिं य सद्धिं सपरि बुडे साबिए जान णाइयरवेणं जेणेव सिद्धाययणे. जेणेच देवच्छेदए, जेणेब जिणपडिमाओ डायमा शतसहसा भग ता. या प्रमाणे तेयो स (रियाम देव पिडओर दस मणुगच्छलि) सृसिवनी पा७१ पा७७याव्या. (एणतं सूरबाभ देवं वहवे अाभियोगिआ देवा य देवीओ य अप्पेशदया इसहत्थगया जाय अरपेगाया धूवककुच्छयहत्थगया-हतु जाव सूधाम दे पिटो समणु. गच्छति) त्यापछी त सोमवनी पा पाछ भने मी पy ji मानिચેગિક દેવ અને દેવીઓ ચાલવા લાગ્યાં. આમાં કેટલાંક દેવદેવ એ એવાં પણ હતાં કે જેમનાં હાથમાં કળશો હતાં અને યાવત કેટલાક દેવદેવીઓ એવા પણ હતાં કે જેઓ પિતાના હાથમાં ધૂપ કરુછુકેને લઈને ચાલી રહ્યાં હતાં. એ સર્વે હs અને તુષ્ટ ચિત્તવાળા હતાં. પ્રીતિયુક્ત મનવાળા હતાં. પરમસીમસ્થિત હતાં અને जाति२४थी मन यो त थ २i छ. मेai Cai. (तएण से रियाये । देवे चअहिं सामाणिय साहसीहि जाव अन्नेहि य बहहिं य मूरियामधिमाणपासीहिं देहि य देबिहिय सद्धि सपरिबुडे सबिदए जाणाइपर वेण जेणेव सिद्धाययणे, जेणेव देवच्छदए, जेणेक जिणपडिमाओ तेणेव उवागच्छइ)